"सिद्धार्थनगर जिला": अवतरणों में अंतर

→‎विवरण: बासमती के स्थान पर कालानमक धान की पैदावार होती है
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|seat_type = मुख्यालय
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|subdivision_type = [[भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश|राज्य]] |subdivision_name = [[उत्तर प्रदेश]]
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|p1 = 1. सिध्दार्थनगर(नौगढ़) <br>2. [[शोहरतगढ़]]<br>3. [[बांसी]]<br>4. [[इटवा]]<br>5. [[डुमरियागंज लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र|डुमरियागंज]]
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== इतिहास ==
जिले का इतिहास [[बौद्ध धर्म]] के संस्थापक भगवान [[गौतम बुद्ध]] के जीवन से जुड़ा हुआ है। इस जनपद का नामकरण गौतम बुद्ध के बाल्यावस्था के नाम राजकुमार ”सिद्धार्थ“ के नाम पर हुआ है। अतीत काल में [[वनोंवन]]ों से आच्छादित [[हिमालय]] की तलहटी का यह क्षेत्र साकेत अथवा कौशल राज्य का हिस्सा था। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में शाक्यों ने अपनी राजधानी कपिलवस्तु में बनायी और यहां एक शक्तिशाली गणराज्य की स्थापना की। काल के थपेडों से यह क्षेत्र फिर उजाड़ हो गया। यह पूरा भू-भाग पूर्व में जनपद [[गोरखपुर]] में समाहित था। सन् 1801 में जनपद गोरखपुर परिक्षेत्र को [[अवध]] के नबाव से [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी|ईस्ट इंडिया कम्पनी]] को स्थान्तरित होने के समय इसकी उत्तरी सीमा [[नेपाल]] में बुटवल तक, पूर्वी सीमा [[बिहार]] राज्य से एवं दक्षिणी सीमा [[जौनपुर जिला|जौनपुर]], [[गाज़ीपुर ज़िला|गाजीपुर]] व [[फैज़ाबादअयोध्या जिला|फैजाबाद]] ज़िलों तथा पश्चिमी सीमा [[गोण्डा जिला|गोण्डा]] व [[बहराइच जिला|बहराइच]] ज़िलों से मिलती थी। सन् 1816 में युद्ध के उपरान्त एक समझौते के अन्तर्गत विनायकपुर व तिलपुर परगनों को नेपाल को सौंपा गया। [[ब्रिटिश राज|अंग्रेजी शासन]] में अंग्रेज जमीदारों ने यहां पर पैर जमाया। सन् 1865 में मगहर परगने के अधिकांश भाग व परगना विनायकपुर के कुछ भाग को जनपद गोरखपुर से पृथक कर जनपद बस्ती का सृजन हुआ। जिससे यह क्षेत्र बस्ती जिले में आ गया। पिपरहवा स्तूप की खुदाई 1897-98 ई॰ में डब्ल्यू॰ सी॰ पेपे ने की थी। सन् 1898 ई0 में ही इसे जर्नल ऑफ रायल एशियटिक सोसायटी में प्रकाशित किया गया। तत्पश्चत 1973-74 में इस स्थल की खुदाई प्रो0 के0एम0 श्रीवास्तव के निर्देशन में हुई तथा खुदाई में प्राप्त अवशेषों से पिपरहवा को कपिलवस्तु होने पर मुहर लगायी गयी। गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण घटनाएं इसी क्षेत्र में घटित हुई। कपिलवस्तु में शाक्यों का राज प्रसाद और बुद्ध के काल में निर्मित बौद्ध बिहारों का खण्डहर तथा शाक्य मुनि के अस्थि अवशेष पाये गये है। कपिलवस्तु की खोज के बाद उत्तर प्रदेश सरकार, राजस्व अनुभाग-5 के अधिसूचना संख्या-5-4 (4)/76-135- रा0-5(ब) दिनांक 23 दिसम्बर, 1988 के आधार पर दिनांक 29 दिसम्बर 1988 को जनपद-बस्ती के उत्तरी भाग को पृथक कर सिद्धार्थनगर जिले का सृजन किया गया।
 
==दर्शनीय स्थल ==
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* [[नौगढ़, सिद्धार्थनगर]]
* [[उत्तर प्रदेश]]
* [[उत्तर प्रदेश के ज़िले|उत्तर प्रदेश के जिले]]
 
== सन्दर्भ ==