"द बर्निंग ट्रेन": अवतरणों में अंतर

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| image =द बर्निंग ट्रेन.jpg
| caption = '''द बर्निंग ट्रेन''' का पोस्टर
| producer = [[बीबलदेव आरराज चोपड़ा|बी॰ आर॰ चोपड़ा]]
| director = [[रवि चोपड़ा]]
| music = [[राहुल देव बर्मन|आर॰ डी॰ बर्मन]]
| writer = [[कमलेश्वर]] (संवाद)
| starring = [[परवीन बॉबी]], <br />[[डैनी डेन्जोंगपा]], <br />[[धर्मेन्द्र]], <br />[[जितेन्द्र]], <br />[[विनोद खन्ना]], <br />[[हेमा मालिनी|हेमामालिनी]], <br />[[नीतू सिंह]] <br />
| screenplay =
| released = 28 मार्च, 1980
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| budget =
}}
'''द बर्निंग ट्रेन''' 1980 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन थ्रिलर फ़िल्म है। इसका निर्माण [[बीबलदेव आरराज चोपड़ा|बी॰ आर॰ चोपड़ा]] ने किया और निर्देशन [[रवि चोपड़ा]] द्वारा किया गया। इस फिल्म में [[धर्मेन्द्र]], [[हेमा मालिनी|हेमामालिनी]], [[विनोद खन्ना]], [[परवीन बॉबी]], [[जितेन्द्र]], [[नीतू सिंह]] सहित विशाल कलाकारों की प्रमुख भूमिकाएँ शामिल हैं और [[राहुल देव बर्मन|आर॰ डी॰ बर्मन]] द्वारा रचित संगीत है।
 
== संक्षेप ==
इस कहानी की शुरुआत अशोक ([[धर्मेन्द्र]]), विनोद ([[विनोद खन्ना]]) और रणधीर के बचपन से शुरू होती है। उन सभी का भारत में बहुत ही तेज ट्रेन बनाने और चलाने का सपना होता है। उनके बड़े होने के बाद एक दिन भारतीय रेलवे एक बहुत ही तेज ट्रेन "सुपर एक्सप्रेस" बनाने की अनुमति देती है। विनोद, रणधीर और राकेश अपना अपना मॉडल चुनाव हेतु भेजते हैं, लेकिन अंत में विनोद का दिया मॉडल ही चुना जाता है। रणधीर को अपने मॉडल के न चुने जाने से गुस्सा आ जाता है और वो इसका बदला लेने की सोचता है। लगभग 6 साल गुजर जाते हैं और विनोद अपनी ट्रेन बनाने के काम में लगा रहता है और अंत में पूरा भी कर लेता है, जिससे लोग बस 14 घंटे में ही दिल्ली से मुंबई में जा सकते हैं।
 
अशोक और विनोद दो खूबसूरत महिलाओं से प्यार करते हैं: सीमा ([[हेमा मालिनी|हेमामालिनी]]) और शीतल ([[परवीन बॉबी]])। रणधीर भी शीतल से प्यार करता है, लेकिन वह विनोद से शादी करती है और उनके पास एक बच्चा है, राजू, जो रणधीर को बहुत दर्द देता है। अशोक और सीमा अपनी सगाई के बाद शादी करने की योजना बना रहे होते हैं, लेकिन अचानक अशोक के पिता को भारी दिवालियापन का सामना करना पड़ता है। वह अपनी संपत्ति खो देते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं। अशोक सड़क पर आ जाता है और यहाँ तक कि सीमा उसे छोड़ देती है। अशोक शहर छोड़ देता है। विनोद ने अपनी पत्नी और बेटे को अनदेखा करते हुए ट्रेन बनाने पर पूरी तरह ध्यान केन्द्रित किया था। बहुत देर हो चुकी थी, दिल से पीड़ित शीतल ने अपने बेटे राजू को अपनी मां के घर भेज दिया और वह विनोद को छोड़ देती है।
 
ट्रेन के पहली बार चलने का समय भी आ जाता है और वो ट्रेन दिल्ली से मुंबई जाने के लिए मथुरा स्टेशन से निकल जाती है। अशोक की मुलाक़ात रणधीर से होती है, वे दोनों बात करते रहते हैं कि रणधीर उसे बताता है कि उसने बदला लेने के लिए ट्रेन के ब्रेक को हटा दिया है और इंजन में बम भी रख दिया है। ये बात जान कर अशोक तुरंत ट्रेन की ओर जाता है, पर उससे पहले ही ट्रेन में धमाका हो जाता है और ड्राइवर की मौत हो जाती है। इसके बाद ट्रेन बिना रुके आगे बढ़ते जाती है।
पंक्ति 30:
* [[विनोद खन्ना]] - विनोद वर्मा
* [[जितेन्द्र]] - रवि
* [[हेमा मालिनी|हेमामालिनी]] - सीमा
* [[परवीन बॉबी]] - शीतल
* [[नीतू सिंह]] - मधु
पंक्ति 42:
* [[ओम शिवपुरी]] - राजा राम
* [[मदन पुरी]] - सेठ धर्मदास
* [[इन्द्राणी मुखर्जी|इन्द्रानी मुखर्जी]] - पद्मिनी
* [[असरानी]] - मेजर पी. के. भंडारी
* [[केष्टो मुखर्जी]] - यात्री
पंक्ति 65:
| heading = गीत
| extra_column = गायक
| all_music = [[राहुल देव बर्मन|आर॰ डी॰ बर्मन]]
| all_lyrics = [[साहिर लुधियानवी]]
| title1 = पल दो पल का साथ हमारा
| extra1 = [[मोहम्मद रफ़ी]], [[आशा भोसले|आशा भोंसले]]
| length1 = 10:56
 
| title2 = तेरी है जमीन तेरा है आसमान
| extra2 = [[पद्मिनी कोल्हापुरी|पद्मिनी कोल्हापुरे]], [[सुषमा श्रेष्ठ]]
| length2 = 5:51
 
| title3 = पहली नजर में हमने अपना दिल
| extra3 = [[किशोर कुमार]], [[उषा मंगेशकर]], मोहम्मद रफ़ी, [[आशा भोसले|आशा भोंसले]]
| length3 = 4:45