"अष्टांग योग": अवतरणों में अंतर
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महर्षि [[पतञ्जलि|पतंजलि]] के योग को 'चित्त की वृत्तियों के निरोध' (''योगः चित्तवृत्तिनिरोधः'') के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने '[[पतञ्जलि योगसूत्र|योगसूत्र]]' नाम से योगसूत्रों का एक संकलन किया है, जिसमें उन्होंने पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए आठ अंगों वाले योग का एक मार्ग विस्तार से बताया है। '''अष्टांग योग''' (आठ अंगों वाला योग), को आठ अलग-अलग चरणों वाला मार्ग नहीं समझना चाहिए; यह आठ आयामों वाला मार्ग है जिसमें आठों आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है। योग के ये आठ अंग हैं:
१) यम, २) नियम, ३) आसन, ४) प्राणायाम, ५) प्रत्याहार, ६) धारणा ७) ध्यान ८) समाधि
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== आसन ==
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आसन शरीर को साधने का तरीका है।
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== इन्हें भी देखें ==
* [[पतञ्जलि योगसूत्र|योगसूत्र]]
*[[योग दर्शन|योगदर्शन]]
*[[हठयोग प्रदीपिका|हठयोग]]
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