"चोकर": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:WheatBran.jpg|right|thumb|300px|गेहूँ की चोकर]]
[[चित्र:Rice bran.jpg|अंगूठाकार|चावल की चोकर (ब्रान)]]
'''चोकर''' [[गेहूँ|गेहूं]] के अंदरूनी सुनहरे छिलके को कहते हैं। ये छिलका तैया गेहूं को पिसवाने पर आटे के साथ मिला हुआ आता है, व छानने पर अलग किया जा सकता है। इसमें [[आहारीय रेशा]] और [[आहारीय जस्ता]] उपस्थित होता है।
== परिचय ==
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== चोकर क्या है? ==
[[गेहूँ|गेंहूँ]] के छिलके को चोकर कहते है। इसमे सब्जियां के फुजला (फोक) से भी अधिक रोग प्रतिरोधक शक्ति होती है, साथ ही लोह, कैल्शियम और विटामिन 'बी' पर्याप्त मात्र में पाए जाते है जो क्रमश: रक्त बढ़ने, हड्डियों को मजबूत करने और भूख बढ़ने में सहायक सिद्ध होते है। पुराने समय में अनाज घर में ही पिसा जाता था, हाथ कि चक्की से हाथ से पिसे गए अनाज में चोकर ज्यादा रहता था लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है, जो बहुत बारीक़ पिसा जाता है, उसमे चोकर नाम मात्र होता है उसको भी बारीक़ छाननी से निकाल फेंक दिया जाता है, बहुत महीन बारीक़ आटे का प्रयोग करने से कब्ज का होना सामान्य बात है जब तक चोकर रहित आटे का उपयोग किया जाता रहेगा तब तक कब्ज से छुटकारा मिलना मुश्किल है। आटे में चोकर आवश्यक ! यदि घर में संभव न हो तो बाहर कि चक्की में मोटा आटा पिसवाना चाहिए और उसे छाने बिना ही उपयोग में लेना चाहिए ! आटा गूँथ कर रखे इसके एक घंटे के बाद रोटी बनाये, इससे चोकर के कण फुल जाते है और रोटी रसीली, स्वादिष्ट बनती है, फूलने पर चोकर पानी सोख कर नरम हो जाता है और पेट में जाकर खलबली मचा देता है, इससे पेट खुल कर साफ लगता है, अगर आटा चानना जरुरी हो तो चन ले और कचरा होने पर उसे अलग करके वापस चोकर को फिर से आटे में मिला दे,
== चोकर के उपयोग ==
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