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'''नट हैमसन''' (1859-1952) [[नॉर्वे|नार्वे]] के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं नाटककार थे। 1920 ई० में [[साहित्य में नोबेल पुरस्कार]] विजेता।
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| birth_name = नट पेडर्सन
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== जीवन-परिचय ==
''नट हैमसन'' का जन्म पूर्वी [[नॉर्वे|नार्वे]] के ''लोय'' नामक स्थान पर 4 अगस्त 1859 में हुआ था।<ref name="अ">नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-88.</ref> इनका पूरा नाम '''नट पेडरसन हैमसन''' (Knut Pedersen Hamsun; अन्य उच्चारण- ''नुत पेदरसन हामज़ुन'') था।<ref>[[हिन्दी विश्वकोश|हिंदी विश्वकोश]], खंड-6, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण-1966, पृष्ठ-450.</ref> इनके घराने में कारीगरी का काम हुआ करता था, जिन्हें भारतवर्ष में ''ठठेरा'' कहा जाता है। जब हैमसन 4 वर्ष के ही थे तभी उनका परिवार वहाँ का पहाड़ी प्रदेश छोड़कर ''लोफोडेम द्वीप'', [[नॉर्थलैंड]] चला गया। वहीं के वन्य दृश्य और मछुआरों के कठोर कार्य को देखते-देखते बालक हैमसन ने युवावस्था प्राप्त की। हैमसन को शिक्षा की तीव्र अभिलाषा थी परंतु उसके पूर्व ही उन्हें जीवन के कठोर यथार्थ का सामना करना पड़ा। उन्हें बोडों में जूते बनाने का काम भी सीखना पड़ा था।<ref name="अ" /> इसके बावजूद हैमसन निराश नहीं हुए और पढ़ने-लिखने की ओर बराबर ध्यान रखते रहे। अपने संघर्षपूर्ण जीवन में अमेरिका-निवास के दिनों में हैमसन को घोड़ागाड़ी भी हाँकना पड़ा था।<ref>नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-231.</ref> इसके सिवा मजदूरी, मोदी की दुकान पर मुहर्रिर का काम तथा फिर व्याख्यान देने का काम भी उन्होंने किया था। जब उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला तो अनेक अमेरिकन पत्रों ने बड़े-बड़े शीर्षक देकर यह समाचार छापा था कि ''घोड़ा गाड़ी हाँकने वाले को नोबेल पुरस्कार''। हलाँकि यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि जब हैमसन घोड़ा गाड़ी चलाते थे तब भी उन की जेब में कविता की कोई न कोई पुस्तक रहती थी।<ref>नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, पूर्ववत्, पृ०-89.</ref> साहित्य के प्रति इसी अटूट अभिरुचि ने उन्हें शिखर तक पहुँचाया।
 
== रचनात्मक परिचय ==