"क़ुस्तुंतुनिया": अवतरणों में अंतर

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'''क़ुस्तुंतुनिया''' या '''कांस्टैंटिनोपुल''' ([[यूनानी भाषा|यूनानी]]: Κωνσταντινούπολις <small>''कोन्स्तान्तिनोउपोलिस''</small> या Κωνσταντινούπολη <small>''कोन्स्तान्तिनोउपोली''</small>; [[लातिन भाषा|लातीनी]]: Constantinopolis <small>''कोन्स्तान्तिनोपोलिस''</small>; [[उस्मानी तुर्कीयाई]]: قسطنطینية, ''Ḳosṭanṭīnīye'' <small>''कोस्तान्तिनिये''‎</small>), [[बोस्पोरुस जलसन्धि]] और [[मारमरा सागर]] के संगम पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो [[रोमन साम्राज्य|रोमन]], [[बाइज़ेंटाइन साम्राज्य|बाइज़ेंटाइन]], और [[उस्मानी साम्राज्य]] की राजधानी थी। 324 ई. में प्राचीन [[बाइज़ेंटाइन साम्राज्य|बाइज़ेंटाइन]] सम्राट [[कोन्स्टान्टिन प्रथम]] द्वारा रोमन साम्राज्य की नई राजधानी के रूप में इसे पुनर्निर्मित किया गया, जिसके बाद इन्हीं के नाम पर इसे नामित किया गया।
 
==परिचय==
इस शहर की स्थापना रोमन सम्राट [[कोन्स्टान्टिन प्रथम|कोन्स्टान्टिन]] महान ने 328 ई. में प्राचीन शहर बाइज़ेंटाइन को विस्तृत रूप देकर की थी। नवीन [[रोमन साम्राज्य]] की राजधानी के रूप में इसका आरंभ 11 मई 330 ई. को हुआ था। यह शहर भी [[रोम]] के समान ही सात पहाड़ियों के बीच एक त्रिभुजाकार पहाड़ी प्रायद्वीप पर स्थित है और पश्चिमी भाग को छोड़कर लगभग सभी ओर जल से घिरा हुआ है। [[भूमध्य सागर|रूम सागर]] और [[काला सागर]] के मध्य स्थित बृहत् जलमार्ग पर होने के कारण इस शहर की स्थिति बड़ी महत्वपूर्ण रही है। इसके यूरोप को एशिया से जोड़ने वाली एक मात्र भूमि-मार्ग पर स्थित होने से इसका सामरिक महत्व था। प्रकृति ने दुर्ग का रूप देकर उसे व्यापारिक, राजनीतिक और युद्धकालिक दृष्टिकोण से एक महान साम्राज्य की सुदृढ़ और शक्तिशाली राजधानी के अनुरूप बनने में पूर्ण योग दिया था। निरंतर सोलह शताब्दियों तक एक महान साम्राज्य की राजधानी के रूप में इसकी ख्याति बनी हुई थी। सन् 1930 में इसका नया [[तुर्कीयाई भाषा|तुर्कीयाई]] नाम [[इस्तांबुल|इस्तानबुल]] रखा गया। अब यह शहर प्रशासन की दृष्टि से तीन भागों में विभक्त हो गया है इस्तांबुल, पेरा-गलाटा और स्कूतारी। इसमें से प्रथम दो यूरोपीय भाग में स्थित हैं जिन्हें बासफोरस की 500 गज चौड़ी गोल्डेन हॉर्न नामक सँकरी शाखा पृथक् करती है। स्कूतारी तुर्की के एशियाई भाग पर बासफोरस के पूर्वी तट पर स्थित है।
 
यहाँ के उद्योगों में चमड़ा, शस्त्र, इत्र और सोनाचाँदी का काम महत्वपूर्ण है। समुद्री व्यापार की दृष्टि से यह अत्युत्तम बंदरगाह माना जाता है। गोल्डेन हॉर्न की गहराई बड़े जहाजों के आवागमन के लिए भी उपयुक्त है और यह आँधी, तूफान इत्यादि से पूर्णतया सुरक्षित है। आयात की जानेवाली वस्तुएँ मक्का, लोहा, लकड़ी, सूती, ऊनी और रेशमी कपड़े, घड़ियाँ, कहवा, चीनी, मिर्च, मसाले इत्यादि हैं; और निर्यात की वस्तुओं में रेशम का सामान, दरियाँ, चमड़ा, ऊन आदि मुख्य हैं।
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===स्थापना===
[[File:Constantine I Hagia Sophia.jpg|right|thumb|सम्राट [[कोन्स्टान्टिन प्रथम]] इस चर्च के पच्चीकारी में, मैरी और बाल मसीह को श्रद्धांजलि देने हेतू कांस्टेंटिनोपल शहर का प्रतिरूप प्रस्तुत करते हुए। [[हागिया सोफिया]], 1000 ई.]]
क़ुस्तुंतुनिया की स्थापना ३२४ में रोमन सम्राट [[कोन्स्टान्टिन प्रथम]] (२७२-३३७ ई) ने पहले से ही विद्यमान शहर, बायज़ांटियम के स्थल पर की थी,<ref name="ODB">{{cite book | title=Constantinople | last = Mango | first = Cyril | authorlink = Cyril Mango | pages = 508–512}}</ref> जो यूनानी औपनिवेशिक विस्तार के शुरुआती दिनों में लगभग ६५७ ईसा पूर्व में, शहर-राज्य मेगारा के उपनिवेशवादियों द्वारा स्थापित किया गया था।<ref>Pliny, IV, xi</ref> इससे पूर्व यह शहर [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[यूनान|ग्रीक]], अथीनियन और फिर ४११ ईसापूर्व से [[स्पार्टा]] के पास रही।<ref>Thucydides, I, 94</ref> १५० ईसापूर्व रोमन के उदय के साथ ही इस पर इनका प्रभाव रहा और ग्रीक और रोमन के बीच इसे लेकर सन्धि हुई,<ref>Harris, 2007, pp.24–25</ref> सन्धि के अनुसार बायज़ांटियम उन्हें लाभांश का भुगतान करेगा बदले में वह अपनी स्वतंत्र स्थिति रख सकेगा जोकि लगभग तीन शताब्दियों तक चला।<ref>Harris, 2007, p.45</ref>
 
क़ुस्तुंतुनिया का निर्माण ६ वर्षों तक चला, और ११ मई ३३० को इसे प्रतिष्ठित किया गया।<ref name=ODB /><ref>Commemorative coins that were issued during the 330s already refer to the city as ''Constantinopolis'' (see, e.g., Michael Grant, ''The climax of Rome'' (London 1968), p. 133), or "Constantine's City". According to the ''Reallexikon für Antike und Christentum'', vol. 164 (Stuttgart 2005), column 442, there is no evidence for the tradition that Constantine officially dubbed the city "New Rome" (''Nova Roma''). It is possible that the Emperor called the city "Second Rome" ({{lang-el|Δευτέρα Ῥώμη}}, ''Deutéra Rhōmē'') by official decree, as reported by the 5th-century church historian [[Socrates of Constantinople]]: See [[Names of Constantinople]].</ref> नये भवनें का निर्माण बहुत तेजी से किया गया था: इसके लिये स्तंभ, पत्थर, दरवाजे और खपरों को साम्राज्य के मंदिरों से नए शहर में लाया गया था।
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==इन्हें भी देखें==
* [[इस्तांबुल|इस्तानबुल]]
* [[उस्मानी साम्राज्य]]
* [[कुस्तुन्तुनिया का पतन|कुस्तुन्तुनिया विजय]]
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}