"वृत्र": अवतरणों में अंतर

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[[File:Story of Vritra.jpg|thumb|इन्द्र द्वारा वज्र के प्रयोग से वृत्रासुर के वध का चित्रण]]
'''वृत्र''' प्राचीन [[वैदिक धर्म]] में एक असुर था जो एक सर्प या [[अझ़दहा]] (ड्रैगन) भी था। [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में वृत्र का अर्थ 'ढकने वाला' होता है। इसका एक अन्य नाम 'अहि' भी था जिसका अर्थ 'साँप' होता है और जो [[अवस्ताई भाषा]] में 'अज़ि' और 'अझ़ि' के रूपों में मिलता है। वेदों में वृत्र एक ऐसा अझ़दहा है जो नदियों का मार्ग रोककर सूखा पैदा कर देता है और जिसका वध [[इन्द्र]] करते हैं।<ref name="ref21qaluf">[http://books.google.com/books?id=wRcnAQAAIAAJ दयानंद यजुर्वेदभाष्य भास्कर: महर्षि दयानंद के वेद-भाष्य], सुदर्शनदेव आचार्य, दयानंद सरस्वती, आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट, १९७४</ref> कुछ वर्णनों में इसके तीन सर दर्शाए गए हैं।<ref name="ref39valeh">[http://books.google.com/books?id=VKPcM7-ldwkC The Dragon Keeper's Handbook: Including the Myth and Mystery, Care and Feeding, Life and Lore of These Fiercely Splendid Creatures], Shawn MacKenzie, Llewellyn Worldwide, 2011, ISBN 978-0-7387-2785-1, ''... In Vedic India we find three-headed Vritra, a divine Chaos Dragon and, some would argue, a descendent of Tiamat; certainly a Dragon made in her wild mold. But where Tiamat was creative, Vritra was willfully destructive ...''</ref>
 
== रामायण में वृत्रासुर कथा ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/वृत्र" से प्राप्त