"गरुड़ पुराण": अवतरणों में अंतर

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| image = [[चित्र:गरुड़ पुराण.gif|150px]]
| image_caption = [[गीताप्रेस|गीताप्रेस गोरखपुर]] का आवरण पृष्ठ
| author = वेदव्यास
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'''गरूड़ पुराण''' [[वैष्णव सम्प्रदाय]] से सम्बन्धित है और [[सनातन धर्म]] में [[मृत्यु]] के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है। इसलिये सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारणको प्रवृत्त करने के लिये अनेक लौकिक और पारलौकिक फलोंका वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें [[आयुर्वेद]], [[कामन्दकीय नीतिसार|नीतिसार]] आदि विषयों के वर्णनके साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किये जाने वाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है। आत्मज्ञान का विवेचन भी इसका मुख्य विषय है।<ref>[http://www.gitapress.org/hindi गीताप्रेस डाट काम]</ref>
 
अठारह पुराणों में गरुड़महापुराण का अपना एक विशेष महत्व है। इसके अधिष्ठातृदेव भगवान विष्णु है। अतः यह वैष्णव पुराण है। गरूड़ पुराण में [[विष्णु]]-भक्ति का विस्तार से वर्णन है। भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों का वर्णन ठीक उसी प्रकार यहां प्राप्त होता है, जिस प्रकार '[[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]]' में उपलब्ध होता है। आरम्भ में [[मनु]] से सृष्टि की उत्पत्ति, [[ध्रुव]] चरित्र और बारह [[आदित्य|आदित्यों]] की कथा प्राप्त होती है। उसके उपरान्त सूर्य और चन्द्र ग्रहों के मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र, इन्द्र से सम्बन्धित मंत्र, सरस्वती के मंत्र और नौ शक्तियों के विषय में विस्तार से बताया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में श्राद्ध-तर्पण, मुक्ति के उपायों तथा जीव की गति का विस्तृत वर्णन मिलता है।
 
== संरचना ==