"पराबैंगनी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:SOHO EIT ultraviolet corona image.gif|thumbnail|right|300px |[[सूर्य]] [[आभामण्डल|प्रभामंडल]] की मिथ्या वर्ण छाया, जो कि गहन पराबैंगनी प्रकाश में 17.1 [[नैनोमीटर]] पर [[अत्यंत पराबैंगनी छायांकन दूरबीन]] उपकरण से [[Solar and Heliospheric Observatory|सौर्य एवं हैलियोस्फेरिक वेधशाला (SOHO)]] अंतरिक्ष वाहन से लिया गया था। ]]
[[चित्र:Far-ultraviolet photo of Earth by Apollo 16 (AS16-123-19657).jpg|thumbnail|right|300px| [[पृथ्वी]] की पराबैंगनी छायांकन, जो कि [[चन्द्रमा|चंद्रमा]] से [[अपोलो 16]] अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लिया गया था ]]
'''पराबैंगनी किरण''' ('''पराबैंगनी''' लिखीं जाती हैं) एक प्रकार का [[विद्युतचुंबकीय विकिरण|विद्युत चुम्बकीय विकिरण]] हैं, जिनकी तरंग दैर्घ्य [[प्रत्यक्ष वर्णक्रम|प्रत्यक्ष प्रकाश]] से छोटी हो एवं कोमल [[ऍक्स किरण|एक्स किरण]] से अधिक हो। इनकी ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, इनका [[वर्णक्रम]] लिए होता है [[विद्युतचुंबकीय विकिरण|विद्युत चुम्बकीय तरंग]] जिनकी आवृत्ति मानव द्वारा दर्शन योग्य [[बैंगनी (रंग)|बैंगनी]] वर्ण से ऊपर होती हैं।परा का मतलब होता है कि इस से अधिक अर्थात बैगनी से अधिक आवृत्ति की तरंग।
पृथ्वी द्वारा सूर्य से पाए गए विकिरण का भाग होतीं हैं। अधिकतर मानव इनके प्रभाव से परिचित होते हैं, जो कि सौर्य जलन या sunburn होता है। पराबैंगनी वर्णक्रम के बहुत से अन्य प्रभाव भी होते हैं, जिनमें लाभदायक एवं हानिकारक, दोनों ही संयुक्त हैं।
== खोज ==
इनकी खोज इस प्रेक्षण से बहुत कुछ जुङी हुई हैं, कि रजत नीरेय लवण (सिल्वर क्लोराइड) धूप पङने पर काले पङ जाते हैं। 1801 में जोहन्न विल्हैम [[रिटर]] ने एक विशिष्ट प्रेक्षण किया, कि [[बैंगनी (रंग)|बैंगनी]] प्रकाश के परे (ऊपर) अप्रत्यक्ष किरणें, रजत नीरेय के लवण में भीगे कागज को काला कर देतीं है। उसने उन्हें डी-ऑक्सिडाइजिंग किरणें कहा जिससे कि उनकी रसायनीय क्रियाओं पर बल दिया जा सके साथ ही इन्हें [[वर्णक्रम]] के दूसरे सिरे पर उपस्थित ऊष्म किरणों से पृथक पहचाना जा सके। कालांतर में एक सरल शब्द रासायनिक किरणें प्रयोग हुआ। जो कि उन्नीसवीं शताब्दी तक चला, जब जाकर दोनों के ही नाम बदले और '''पराबैंगनी''एवं '''अधोरक्त''' कहलाए।<ref name="hockberger">
{{Citation
| last = Hockberger
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== शब्द की उत्पत्ति ==
नाम '''बैंगनी से परे ''' यानी पराबैंगनी इसलिए पङा क्योंकि ये प्रत्यक्ष प्रकाश की सर्वाधिक आवृत्ति एवं न्यूनतम तरंग दैर्घ्य वाले [[बैंगनी (रंग)|बैंगनी]] से भी अधिक आवृत्ति वाली, साथ ही ; कम तरंग दैर्घ्य वाली होतीं हैं। इन्हें अँग्रेजी़ में '''अल्ट्रा वॉयलेट रेय्ज़''' कहा जाता है।
{{विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम}}
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