6
सम्पादन
छो (106.208.196.83 (Talk) के संपादनों को हटाकर Avdmoh के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया) टैग: प्रत्यापन्न |
छोNo edit summary |
||
== छह दर्शन ==
उपनिषन्मूलक होने के कारण इनमें [[वेदान्त दर्शन|वेदांतदर्शन]] सबसे अधिक प्राचीन है। किंतु [[ब्रह्मसूत्र]] में अन्य दर्शनों का खंडन है तथा उसका प्राचीनतम भाष्य [[आदि शंकराचार्य]] का है (
'''[[योग दर्शन]]''' के सिद्धांत सांख्य के समान हैं। योगसूत्र पर रचित भाष्य और टीकाएँ योगदर्शन की विस्तृत परंपरा का आधार हैं। योगदर्शन का मुख्य लक्ष्य समाधि के मार्ग को प्रशस्त करना है। समाधि में चित्त की समस्त वृत्तियों का निरोध हो जाता है। अभ्यास, वैराग्य और ध्यान योग के मुख्य साधन हैं। ईश्वर को भी ध्यान का लक्ष्य बनाया जा सकता है इतना ही योगदर्शन में ईश्वर का महत्व है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के आठ अंगों से युक्त अष्टांगयोग योग का सर्वजन सुलभ मार्ग है।
११. मूर्तियां केवल एक भगवान की स्थिति का मानव कलपना मात्र है। भगवान किसी मंदिर में नहीं रहते अपितु सर्वत्र विराजमान रहते हैं। मंदिर बस एक मानव आस्था का केंद्र है जहां मानव अपनी सभी सभी प्रकार के चिंता, दुःख,पाप आदि को भूल भगवान की शरण में जाने का प्रयास करता है।
<ref>https://www.youtube.com/watch?v=vJHJLrWxHPM</ref>
|
सम्पादन