"चमड़ा उद्योग": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:SellierBourrelierSoyotte.jpg|right|thumb|400px|चमड़े के काम में प्रयोग किये जाने वाले परम्परागत औजार]]
संसार का लगभग 90 प्रतिशत [[चमड़ा]] बड़े पशुओं, जैसे गोजातीय पशुओं, एवं [[भेड़]] तथा [[बकरी|बकरों]] की खालों से बनता है, किंतु [[घोड़ा]], [[सूअर]], [[कंगारू]], [[हिरण|हिरन]], [[सरीसृप]], [[अश्वमीन|समुद्री घोड़ा]] और [[जलव्याघ्र]] (seal) की खालें भी न्यूनाधिक रूप में काम में आती हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर, खालें [[मांस उद्योग]] की उपजात हैं। यदि वे प्रधान उत्पाद होतीं, ता चमड़ा अत्यधिक महँगा पड़ता। उपजात होने के कारण उनमें कुछ दोष भी प्राय: पाए जाते हैं, जैसे पशुसंवर्धक लोग खाल के सर्वोत्तम भाग, पुठ्ठों को दाग लगाकर बिगाड़ डालते हैं। उनकी असावधानी से कीड़े मकोड़े खाल में छेद कर जाते हैं। उसको छीलने (flaying) या पकाने सुखाने (curing) के समय कीई और दोषों का आना संभव है।भारत मे सर्वाधिक चमड़ा उत्पादन तमिलनाडु चेन्नई में, औऱ दूसरे स्थान पर उत्तरप्रदेश में होता है,चेन्नई में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया का मुख्यालय है
== परिचय ==
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