"जनांकिकीय संक्रमण": अवतरणों में अंतर

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'''जनांकिकीय संक्रमण'''<ref name="Khullar">{{cite book|author=D R Khullar|title=Geography Textbook-Hindi|url=https://books.google.com/books?id=8aE_DAAAQBAJ&pg=PA34|publisher=Saraswati House Pvt Ltd|isbn=978-93-5041-244-2|pages=34–}}</ref> अथवा '''जनसांख्यिकीय संक्रमण''' एक जनसंख्या सिद्धांत है जो जनसांख्यिक इतिहास के आंकड़ों और सांख्यिकी पर आधारित है। इस सिद्धांत के प्रतिपादक [[डब्ल्यू. एम. थोम्पसन]] (1929) और [[फ्रेंक. डब्ल्यू नोएस्टीन|फ्रेंक. डब्ल्यू. नोएस्टीन]] (1945) हैं। इन्होंने [[यूरोप]], [[ऑस्ट्रेलिया|आस्ट्रेलिया]] और [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमेरिका]] में प्रजनन और मृत्यु-दर की प्रवृत्ति के अनुभवों के आधार पर यह सिद्धांत दिया।
 
== सिद्धांत ==
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इस अवस्था में जन्मदर व मृत्युदर दोनों ही 30 से 35 प्रति हजार के बीच होती है । यह वैसे देशों की विशेषता है, जहाँ समाज का ढाँचा परंपरावादी है । सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के कारण इस प्रकार के समाजों में उच्च जन्मदर व उच्च मृत्युदर मिलती है ।
 
एडम स्मिथ ने भी कहा है, कि जनांकिकी उर्वरता का अनुकूलतम वातावरण दरिद्रता द्वारा निर्धारित होता है, अर्थात् जो समाज जितना गरीब होगा, जनसंख्या वृद्धि उतनी ही तेज होगी । उदाहरण के लिए, [[इथोपिया|इथियोपिया]], [[सोमालिया]], [[लाओस]], [[पापुआ न्यू गिनी]], आदि देश इस अवस्था के अंतर्गत लिए जा सकते हैं ।
 
=== द्वितीय अवस्था===