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'''द्विवेदी''' एक [[भारतीय]] [[उपनाम]] है। [[ब्राह्मण]] जाति में एक उप जाति जो द्विवेदी, दूबे, दबे के उप-नाम से विभिन्न स्थानों में निवास करती है। ब्राम्हण की इस उप-जाति का उद्गम स्थान अधिकतर लोग उ॰ प्र॰ के [[गोरखपुर जिला|गोरखपुर जिले]] के "समदरिया एवं सरार" को मानते हैं।इनका विवाह 13 घरों में किया जाता है । 3 घरों में विवाह निषेध है।{{cn|date = जुलाई 2016}} यह एक यर्जुवेदिय मध्यान्धनी शाखा के ब्राम्हण होते हैं। जिनमें प्रमुख गोत्र बत्स, भारद्वाज, शान्डिल्य इत्यादि होते हैं।{{cn|date = जुलाई 2016}}
द्विबेदी अथवा दूबे उप-नाम से विशेष कर उ॰प्र॰ में गोण्डा के मनकापुर तहसील के नरेन्द्र पुर कटका ग्राम में,गोरखपुर,Siddharth nagar देवरिया, मदरिया, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर (कान्यकुब्ज दूबे) म॰ प्र॰ में इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, सतना, रीवा; पंजाब में होशियारपुर,नांगल एवं गुजरात में नन्दियाड़, भावनगर ,महेशाना में द्विबेदी अथवा दूबे, दबे उप-नाम से निवास करते हैं। द्विवेदी उप-नाम में महत्व पूर्ण व्यक्तित्व प्रमुख लेखक, कवी संत एवं विद्वान-संत [[तुलसीदास|तुलसी दास]], [[महावीर प्रसाद द्विवेदी|महाबीर प्रसाद द्विवेदी]], [[हजारीप्रसाद द्विवेदी|हजारी प्रसाद द्विवेदी]], [[बाल गोबिन्द द्विवेदी]], लाल बहादुर दुबे, रेवा प्रसाद द्विवेदी प्रसिद्ध हैं।
{{भारतीय उपनाम}}
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