"मधुमक्खी": अवतरणों में अंतर

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| image_caption = वेस्टर्न हनी बी अपने छत्ते को पराग ले जाते हुए
| image_width = 250px
| regnum = [[प्राणी|जंतु]]
| phylum = [[सन्धिपाद]]
| classis = [[कीट]]
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[[चित्र:Bee-11.jpg|thumb|right|280px|मधुमक्खी]]
[[चित्र:Apis florea nest.JPG|right|thumb|300px|मधुमक्खी के छाते]]
'''मधुमक्खी''' [[कीट|कीट वर्ग]] का प्राणी है। मधुमक्खी से [[मधु]] प्राप्त होता है जो अत्यन्त पौष्टिक भोजन है। यह संघ बनाकर रहती हैं। प्रत्येक संघ में एक रानी, कई सौ नर और शेष श्रमिक होते हैं। मधुमक्खियाँ छत्ते बनाकर रहती हैं। इनका यह घोसला (छत्ता) [[मोम]] से बनता है। इसके [[वंश]] एपिस में 7 जातियां एवं 44 उपजातियां हैं।मधुमक्खी नृत्य के माध्यम से अपने परिवार के सदस्यों को पहचान करती हैं।
 
==प्रजातियाँ==
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==कृषि उत्पादन में मधुमक्खियों का महत्त्व==
परागणकारी जीवों में मधुमक्खी का विषेष महत्त्व है। इस संबंध में अनेक अध्ययन भी हुए हैं। सी.सी. घोष, जो सन् 1919 में इम्पीरियल कृषि अनुसंधान संस्थान में कार्यरत थे, ने मधुमक्खियों की महत्ता के संबंध में कहा था कि यह एक रुपए की [[मधु|शहद]] व [[मोम]] देती है तो दस रुपए की कीमत के बराबर उत्पादन बढ़ा देती है। [[भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान]], [[नई दिल्ली]] में कुछ फसलों पर परागण संबंधी परीक्षण किए गए। [[सौंफ]] में देखा गया कि जिन फूलों का मधुमक्खी द्वारा परागीकरण होने दिया गया उनमें 85 प्रतिशत बीज बने। इसके विपरीत जिन फूलों को मधुमक्खी द्वारा परागित करने से रोका गया उनमें मात्र 6.1 प्रतिशत बीज ही बने थे। यानी मधुमक्खी, सौंफ के उत्पादन को करीब 15 गुना बढ़ा देती है। [[बरसीम]] में तो बीज उत्पादन की यह बढ़ोत्तरी 112 गुना तथा उनके भार में 179 गुना अधिक देखी गई। [[सरसों]] की परपरागणी 'पूसा कल्याणी' जाति तो पूर्णतया मधुमक्खी के परागीकरण पर ही निर्भर है। फसल के जिन फूलों में मधुमक्खी ने परागीकृत किया उनके फूलों से औसतन 82 प्रतिशत फली बनी तथा एक फली में औसतन 14 बीज और बीज का औसत भार 3 मिलिग्राम पाया गया। इसके विपरीत जिन फूलों को मधुमक्खी द्वारा परागण से रोका गया उनमें सिर्फ 5 प्रतिशत फलियां ही बनीं। एक फली में औसत एक बीज बना जिसका भार एक मिलिग्राम से भी कम पाया गया। इसी तरह तिलहन की स्वपरागणी किस्मों में उत्पादन 25-30 प्रतिशत अधिक पाया गया। [[लीची]], [[गोभी]], [[इलायची]], [[प्याज]], [[कपास]] एवं कई फलों पर किए गए प्रयोगों में ऐसे परिणाम पाए गए।
 
==मधुमक्खी परिवार==
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=== नर मधुमक्खी===
मौसम और प्रजनन काल के अनुसार नर मधुमक्खी (ड्रोन) की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। प्रजनन काल में एक मौनवंष में ये ढाई-तीन सौ तक हो जाते हैं जबकि विपरीत परिस्थितियों में इनकी संख्या शून्य तक हो जाती है। इनका काम केवल रानी मधुमक्खी का [[निषेचन|गर्भाधान]] करना है। गर्भाधान के लिए यद्यपि कई नर प्रयास करते हैं जिनमें एक ही सफल हो पाता है।
 
===कमेरी मधुमक्खी===
किसी मौनवंश में सबसे महत्त्वपूर्ण मधुमक्खियां कमेरी (वर्कर) ही होती हैं। ये फूलों से रस ले आकर [[मधु|शहद]] तो बनाती ही हैं साथ-साथ अंडे-बच्चों की देखभाल और छत्ते के निर्माण का कार्य भी करती हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==