"मधुमक्खी पालन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Beekeeper.jpg|right|thumb|300px|व्यावसायिक स्तर के मधुमक्खीपालन में लगा एक व्यक्ति]]
[[मधु]], [[परागकणपराग]]कण आदि की प्राप्ति के लिये [[मधुमक्खी|मधुमक्खियाँ]] पाली जातीं हैं। यह एक क्रिषि आधारित उद्योग है। मधुमक्खियां [[फूलपुष्प|फूलों]] के रस को शहद में बदल देती हैं और उन्हें अपने छत्तों में जमा करती हैं। जंगलों से मधु एकत्र करने की परंपरा लंबे समय से लुप्त हो रही है। बाजार में शहद और इसके उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण मधुमक्खी पालन अब एक लाभदायक और आकर्षक उद्यम के रूप में स्थापित हो चला है। मधुमक्खी पालन के उत्पाद के रूप में शहद और मोम आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
 
== मधुमक्खी पालन के लाभ ==
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मधुमक्खी पालन का आधुनिक वैज्ञानिक तरीका पष्चिम की देन है। यह निम्न चरणों में विकसित हुआ :
 
* सन् 1789 में [[स्विट्ज़रलैण्ड|स्विटजरलैंड]] के फ्रांसिस ह्यूबर नामक व्यक्ति ने पहले-पहल लकड़ी की पेटी (मौनगृह) में मधुमक्खी पालने का प्रयास किया। इसके अंदर उसने लकड़ी के फ्रेम बनाए जो किताब के पन्नों की तरह एक-दूसरे से जुड़े थे।
 
*सन् 1851 में अमेरिका निवासी पादरी लैंगस्ट्राथ ने पता लगाया कि मधुमक्खियां अपने छत्तों के बीच 8 मिलिमीटर की जगह छोड़ती हैं। इसी आधार पर उन्होंने एक दूसरे से मुक्त फ्रेम बनाए जिस पर मधुमक्खियां छत्ते बना सकें।