"पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो": अवतरणों में अंतर
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'''पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:''ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एण्ड डवलपमेंट'', लघु:'''[[पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो|बी.पी.आर एण्ड डी]]''') की स्थापना [[पुलिस]] बलों के आधुनिकीकरण के बारे में [[भारत सरकार]] के उद्देश्य को पूरा करने के लिए [[२८ अगस्त]], [[१९७०]] को की गई थी।<ref name="आधिकारिक">[http://www.bprd.gov.in/index_hin.asp आधिकारिक जालस्थल]- पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो</ref> अब यह बहुआयामी एवं परामर्शदाता संगठन है और इसके चार प्रभाग हैं। मूल रूप से संस्थान में दो प्रभाग होते थे: अनुसंधान एवं विकास प्रभाग। बाद में [[१९७३]] में प्रशिक्षण प्रभाग जोड़ा गया। इसके बाद [[१९८३]] में फॉरेन्ज़िक विज्ञान प्रभाग और [[१९९५]] में दिष-सुधार प्रशासन प्रभाग जुड़े। इसके साथ साथ कुछ अन्य विभागों ने संस्थान के कुछ कार्य संभाले, जैसे [[१९७६]] में अपराध विज्ञान एवं फॉरेन्ज़िक विज्ञान ने कुछ संबंधित कार्य संभाला। इस विभाग को बाद में लोक नायक जय प्रकाश नारायण राष्ट्रीय अपराध विज्ञान एवं फॉरेन्ज़िक विज्ञान नाम दिया गया। [[१९८६]] में राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो और २००२ में फॉरेन्ज़िक विज्ञान निदेशालय ने संभाला।
11 जून 2019 को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वी एस कौमुदी को पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) का महानिदेशक नियुक्त किया गया है।
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इस प्रभाग में भारत और अन्य देशों में पुलिस कार्य के लिए प्रयुक्त की जा रही विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तकनीकों के क्षेत्र में हो रहे विकास संबंधी जानकारी रखी जाती है। इसके अतिरिक्त यह नई कार्य पध्दतियों का भी अध्ययन करता है ताकि उपयुक्त उपकरण व तकनीकें अपनाई जा सकें। यह निरंतर ही नई प्रौद्योगिकी व वैज्ञानिक उत्पाद की जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है और उन्हें देश में अपनाए जाने की उपयुक्तता पर विचार करता है। यह बॉडी आर्मर, बुलेटप्रूफ वाहनों, शस्त्रों, मोटर वाहनों, इत्यादि जैसे उपकरणों साधनों के प्रयोग के बारे में भी मानक तय करता है। जब से राज्यों ने अपने शस्त्रों उपकरणों को उन्नत करने की योजना बनाई है। इस प्रभाग की प्रासंगिकता पहले की तुलना में काफी अधिक बढ ग़ई है।
=== प्रशिक्षण प्रभाग ===
पुलिस प्रशिक्षण के बारे में गठित समिति की सिफारिश के आधार पर प्रशिक्षण प्रभाग की स्थापना सितंबर १९७३ को की गई। इसकी स्थपना देश के पुलिस बलों की प्रशिक्षण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केन्द्रीय पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय के रूप में की गई। प्रशिक्षण प्रभाग के नियंत्रण में [[चण्डीगढ़|चंडीगढ]] [[क़ोलकाता]] और [[हैदराबाद]] स्थित तीन केन्द्रीय गुप्तचर प्रशिक्षण स्कूल भी हैं जो वैज्ञानिक अंवेषण के विषय में राज्य पुलिस अधिकारियों के लिए पाठयक्रम संचालित करते हैं। यह पुलिस प्रशिक्षण की भावी आवश्यकताओं का आकलन करके समूचे देश के प्रशिक्षण संगठनों के विद्यमान कार्यक्रमों का मूल्यांकन और उनके लिए प्रशिक्षण नीति एवं कार्यप्रणाली की भी रूपरेखा तैयार करता है।
यह प्रभाग राज्य पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों और अन्य शैक्षिक निकायों से संपर्क बनाए रखता है तथा विभिन्न विशिष्ट पाठयक्रमों का पाठय विवरण व प्रशिक्षण सामग्री तैयार एवं परिचालित करने में सहायता करता है ताकि उन्हें अपग्रेड करने में कोई कठिनाई न आ सके। प्रशिक्षण प्रभाग मित्र देशों के पुलिस अधिकारियों को भारत में प्रशिक्षण देने और भारतीय पुलिस अधिकारियों के लिए भारत व विदेश दोनों ही स्थानों में विदेशी प्रशिक्षकों की सहायता से विशिष्ट पाठयक्रम आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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