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[[चित्र:Dampfturbine Montage01.jpg|right|thumb|300px|विद्युत उत्पादन करने वाली विद्युत जनित्र को घुमाने के लिये प्रयुक्त '''वाष्प टरबाइन''']]
'''शक्ति इंजीनियरी''' (Power engineering) [[अभियान्त्रिकी|इंजीनियरी]] की वह उपक्षेत्र है जो विद्युत शक्ति के उत्पादन (जनन /generation), पारेषण (transmission), वितरण (distribution), उपभोग (utilization) तथा इनमें प्रयुक्त [[विद्युत जनित्र|जनित्रों]], [[ट्रांसफार्मरट्राँसफार्मर|ट्रांसफार्मरों]], [[पारेषण लाइन|पारेषण लाइनों]] एवं [[विद्युत मोटर|मोतरों]] से सम्बन्ध रखता है। इस विधा को '''विद्युत प्रणाली इंजीनियरी''' (power systems engineering) भी कहते हैं।
 
== इतिहास ==
* '''१८३१''' - [[माइकल फैराडे]] ने [[फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम|प्रेरण के नियम]] की खोज की।
* '''१८८१''' - दो अंग्रेज तकनीशियनों ने [[इंग्लैण्ड]] में प्रथम विद्युत उत्पादन संयंत्र बनाया जो जल-चक्र (वाटर ह्वील) से चलता था।
* '''१८८२''' - [[न्यूयॉर्क]] के पर्ल स्ट्रीट में [[थॉमस ऐल्वा एडीसन|एडिसन]] की 'एडिसन पॉवर क्म्पनी' ने [[वाष्प]] से चलने वाला विश्व का पहला शक्ति-संयंत्र (पॉवर प्लान्ट) विकसित किया। इसमें [[दिष्ट धारा|डीसी वोल्टेज]] का उत्पादन होता था।
* '''१८८२''' - लन्दन में ही लुसिन गौलार्ड और जॉन डिक्सन गिब्ब्स ने शक्ति-प्रणाली में उपयोग किये जाने योग्य प्रथम [[ट्राँसफार्मर|ट्रांसफार्मर]] का प्रदर्शन किया।
* '''१८८७-८८''' : निकोला टेस्ला ने शक्ति-प्रणाली से सम्बन्धित बहुत से पेटेन्ट फाइल किये।
* '''१८९०''' तक यूरोप और अमेरिका में हजारों शक्ति-संयन्त्र लग चुके थे जिनमें कुछ [[प्रत्यावर्ती धारा|एसी]] और कुछ [[दिष्ट धारा|डीसी]] उत्पन्न करते थे।