"पशुपतिनाथ मन्दिर (नेपाल)": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 34:
{{maplink|frame=yes|frame-width=270|zoom=15|type=point}}
{{Commons category|Pashupatinath temple|पशुपतिनाथ मन्दिर (नेपाल)}}
'''पशुपतिनाथ मंदिर''' ([[नेपाली (बहुविकल्पी)|नेपाली]]: पशुपतिनाथ मन्दिर) [[नेपाल]] की राजधानी [[काठमाण्डु|काठमांडू]] से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में [[बागमती|बागमती नदी]] के किनारे [[देवपाटन]] गांव में स्थित एक हिंदू मंदिर है। नेपाल के एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने से पहले यह मंदिर राष्ट्रीय देवता, भगवान [[पशुपतिनाथ]] का मुख्य निवास माना जाता था। यह मंदिर [[यूनेस्को विश्व धरोहर|यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल]] की सूची में सूचीबद्ध है।<ref name="SAARC Tourism">[http://nepal.saarctourism.org/pashupatinath-temple.html SAARC tourism]</ref><ref name="nbt-4aug14">{{cite web | url= http://hindi.economictimes.indiatimes.com/world/asian-countries/pm-narendra-modi-performs-puja-at-pashupatinath-temple-in-nepal/articleshow/39601503.cms| title= मोदी ने किया भगवान पशुपतिनाथ का रुद्राभिषेक| publisher = नवभारत टाईम्स| date= 4 अगस्त 2014| accessdate= 5 अगस्त 2014}}</ref>
पशुपतिनाथ में आस्था रखने वालों (मुख्य रूप से हिंदुओं) को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है। गैर हिंदू आगंतुकों को इसे बाहर से बागमती नदी के दूसरे किनारे से देखने की अनुमति है।
यह मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। १५ वीं शताब्दी के राजा प्रताप मल्ल से शुरु हुई परंपरा है कि मंदिर में चार पुजारी (भट्ट) और एक मुख्य पुजारी (मूल-भट्ट) दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे जाते हैं।<ref name="nbt-4aug14"/> पशुपतिनाथ में शिवरात्रि का पर्व विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है।
पंक्ति 45:
नेपाल महात्म्य और हिमवतखंड पर आधारित स्थानीय किंवदंती के अनुसार भगवान शिव एक बार वाराणसी के अन्य देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के किनारे स्थित मृगस्थली चले गए, जो बागमती नदी के दूसरे किनारे पर जंगल में है। भगवान शिव वहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले गए। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए।<ref name="nbt-4aug14"/>
 
[[भारत]] के [[उत्तराखण्ड]] राज्य में स्थित प्रसिद्ध [[केदारनाथ मन्दिर|केदारनाथ मंदिर]] की किंवदंती के अनुसार पाण्डवों को स्वर्गप्रयाण के समय भैंसे के स्वरूप में शिव के दर्शन हुए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन भीम ने उनकी पूँछ पकड़ ली थी। ऐसे में उस स्थान पर स्थापित उनका स्वरूप केदारनाथ कहलाया, तथा जहाँ पर धरती से बाहर उनका मुख प्रकट हुआ, वह पशुपतिनाथ कहलाया।{{cn}}
 
==गेलरी==