"बलौदा बाज़ार जिला": अवतरणों में अंतर

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पर्यटन की दृषिट से बलौदा बाजार जिला अत्यन्त समृद्ध है। कसडोल में बारनवापारा अभ्यारण्य, तुरतुरिया (बालिमकी आश्रम), गिरौधपुरी में सतनाम पंथ के प्रर्वतक गुरू घासीदास की जन्म भूमि तथा यहां पर कुतुबमिनार से ऊंचा जैतखम्भ, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह की जन्म भूमि, सोनाखान, पलारी के बालसमुंद तालाब के किनारे सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, लवन के चंगोरी पैसर में शिवनाथ, महानदी व लीलागर नदी का संगम, सिमगा के सोमनाथ में शिवनाथ व खारून नहीं का संगंम प्रमुख स्थल है। जिले की मूल भाषा हिन्दी व छत्तीसगढ़ी है तथा प्राचिन परम्पराओं व संस्कृति का दर्शन यहां के सुआ, राऊत नांचा, कर्मा, पंथी, गौरा-गौरी पूजन आदि में दृषिटगोचर होता है।
 
=== '''कृषि व सिंचार्इसिंचाई''' ===
बलौदा बाजार जिले की छ: तहसीलों के अंतर्गत कृषि का कुल रकबा 269888 हेक्टेअर है। जिले में धान की फसल प्रमुखता से बार्इ जाती है। जिले के 970 गांव की 10 लाख से ज्यादा आबादी में से अधिकांशत: लोग कृषि पर ही आश्रित है। समर्थन मूल्य पर 86 सहकारी समितियों के माध्यम से धान क्रय किया जाता है। जिले में 4 कृषि उपज मंडिया भी है, जिनमें भाटापारा सिथत मंडी वर्ष भर फसल क्रय विक्रय के लिए प्रसिद्ध है। सिंचार्इ हेतु जिले में अनेक नदी, नाले सिथत है, जिनमें महानदी, शिवनाथ, जोंक प्रमुख नदियां है। सहायक नदियों में बालमदेयी है वहीं जमुनिया व खोरसी नाला भी प्रमुख है। बि्रटिश काल में सिंचार्इ सुविधा को विकसीत करने हेतु 1935-36 में लगभग 200 कि.मी. नहरों का जाल बिछाया गया। बलौदा बाजार शाखा नहर व लवन शाखा नहर के माध्यम से गंगरेल बांध का पानी आज भी खेतों मेें पहुंचाया जाता है। शासन द्वारा औसत वर्षा में कमी के चलते बलौदा बाजार को वृषिटछाया क्षेत्र घोषित किया गया है। केवल पलारी तहसील ही सिंचीत क्षेत्र है शेष तहसीलों में सिंचीत क्षेत्र का रकबा कम है। कसडोल क्षेत्र में विशालकाय बलारडेम के अलावा जल संसाधन विभाग द्वारा नदियाें में एनिकेट व कुछ अन्य छोटे बांध भी निर्मित कराये गये हैं। भाटापारा नहर का निर्माणकार्य विगत कर्इ वर्षो सें जारी है, जिसके पूर्ण होने से जिले का भाटापारा तहसील भी सिंचार्इ सुविधा से परिपूर्ण हो जावेगा।