"महाश्येन": अवतरणों में अंतर

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| image_width = 250px
| image_caption = भारतीय महाश्येन
| regnum = [[प्राणी|जंतु]]
| phylum = [[रज्जुकी]] (Chordata)
| classis = [[पक्षी]] (Aves)
| ordo = [[ऐकीपिट्रीफ़ोर्मीस]] (Accipitriformes)
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| subdivision_ranks = [[जीववैज्ञानिक वंश (जीवविज्ञान)|वंश]] व [[जीववैज्ञानिक जाति (जीवविज्ञान)|जातियाँ]]
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कई वंशों में लगभग ७४ जातियाँ
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महाश्येन, फैल्कोनिफॉर्मीज़ (Falconiformes) गण, ऐक्सिपिटर (Accipitres) उपगण, फैल्कानिडी (Falconidae) कुल तथा ऐक्विलिनी (Aquilinae) उपकुल के अंतर्गत है। यह उपकुल दो वर्गों में विभाजित है। ये दो वर्ग ऐक्विला '''स्थल महाश्येन''' (Aquila Land Eagle) और हैलिई-एटस, '''जल महाश्येन''' (Haliaeetus Sea Eagle) हैं। इस श्येन परिवार में लगभग तीन सौ जातियाँ पाई जाती हैं। ये अनेक जातियाँ स्वभाव तथा आकार प्रकार में एक दूसरे से भिन्न होती हैं तथा विश्व भर में पाई जाती हैं।
 
प्राचीन काल से ही यह साहस एवं शक्ति का प्रतीक माना गया है। संभवत इन्हीं कारणों से सभी राष्ट्रों के कवियों ने इसका वर्णन किया है और इसे [[रूस]], [[जर्मनी]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका|संयुक्त राज्य]] आदि देशों में [[राष्ट्रीय प्रतीक]] के रूप में माना गया है। [[भारत]] में इसे '''गरुड़''' की संज्ञा दी गई है तथा पौराणिक वर्णनों में इसे [[विष्णु]] का वाहन कहा गया है। संभवत: तेज गति और वीरता के कारण ही यह विष्णु का वाहन हो सका है।
 
अन्य देशों के भी पौराणिक वर्णनों में इसका वर्णन आता है, जैसे [[स्कैंडिनेविया प्रायद्वीप|स्कैंडेनेविया]] में इसे तूफान का देवता माना गया है और यह बताया गया है कि यह देव स्वर्ग लोक के एक छोर पर बैठकर हवा का झोंका पृथ्वी पर फेंकता है। [[ग्रीसयूनान|ग्रीसवासियों]]वासियों की, प्राचीन विश्वास के अनुसार, ऐसी धारणा है कि उनके सबसे बड़े देवता, ज़्यूस (Zeus), को इस महाश्येन ने ही सहायतार्थ वज्र प्रदान किया था।
 
भगवान् विष्णु का वाहन होकर भी इस पक्षी की मनोवृत्ति अहिंसक नहीं है। यह मांसभक्षी, अति लोलुप और प्रत्यक्षत: हानि पहुँचानेवाला होता है, तथापि यह उन बहुत से पक्षियों को समाप्त करने में सहायक है, जो कृषि एवं मनुष्यों को हानि पहुँचाते हैं। साथ ही साथ यह हानि पहुँचानेवाले सरीसृप तथा छोटे छोटे स्तनी जीवों को भी समाप्त करता है और इस प्रकार जंतुसंसार का संतुलन बनाए रखता है।