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'''राजस्थानी साहित्य''' ई॰ सन् १००० से विभिन्न विधाओं में लिखी गई है। लेकिन सर्वसम्मत रूप से माना जाता है कि राजस्थानी साहित्य पर कार्य ''सूरजमल मिश्रण '' के कार्य के बाद आरम्भ हुआ।<ref name="brittanica">South Asian arts. (2008). In Encyclopædia Britannica. अभिगमन तिथि: २९ जून २०१३, from Encyclopædia Britannica Online: http://www.britannica.com/eb/article-65211</ref> उनका मुख्य कार्य वंस भास्कर और वीर सतसई में है। वंस भास्कर [[राजपूत]] राजकुमारों का उल्लेख आता है जिन्होंने [[राजपुताना|राजपूताना]] (वर्तमान [[राजस्थान]]) का नेतृत्व किया।
 
मध्यकालीन राजस्थानी साहित्य में मुख्यतः काव्यात्मक है और यह सामान्यतः राजस्थान के वीरों की गाथाओं से भरपूर होता है।
 
पूर्व राजस्थानी साहित्य प्रमुखतः [[जैन धर्म|जैन]] संतो द्वारा रचित है। पूर्व [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] को मारू गुर्जर (या डिंगल) के रूप में जाना जाता है जो [[गुजराती भाषा|गुजराती]] के बहुत निकट है।
 
== ये भी देखें==