"गैलापागोस द्वीपसमूह": अवतरणों में अंतर

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'''गैलापागोस द्वीप समूह''' (आधिकारिक नाम: Archipiélago de Colón; अन्य स्पेनिश नाम: Islas de Colón या Islas Galápagos) [[प्रशान्त महासागर|प्रशांत महासागर]] में [[भूमध्य रेखा]] के आसपास फैले [[ज्वालामुखी]] द्वीपों का एक [[द्वीपसमूह]] है, जो महाद्वीपीय [[ईक्वाडोर]] के 972 किमी पश्चिम में स्थित है। यह एक [[विश्व धरोहर स्थल|यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल]] है: वन्यजीवन इसकी सबसे प्रमुख विशेषता है।
 
गैलापागोस द्वीप समूह ईक्वाडोर के गैलापागोस प्रांत का निर्माण करते हैं साथ ही यह देश की [[राष्ट्रीय उद्यान]] प्रणाली का हिस्सा हैं। इस द्वीप की प्रमुख भाषा [[स्पेनिशस्पेनी भाषा|स्पेनिश]] है। इस द्वीपों की जनसंख्या 40000 के आसपास है, जिसमें पिछले 50 वर्षों में 40 गुना वृद्धि हुई है।
 
भौगोलिक रूप से यह द्वीपसमूह नये हैं और स्थानीय प्रजातियों की अपनी विशाल संख्या के लिए प्रसिद्ध है, जिनका [[चार्ल्स डार्विन]] ने अपने [[एचएमएस बीगल|बीगल के खोजी अभियान]] के दौरान अध्ययन किया था। उनकी टिप्पणियों और संग्रह ने डार्विन के [[प्राकृतिक वरण|प्राकृतिक चयन]] द्वारा [[क्रम-विकास]] के सिद्धांत के प्रतिपादन में योगदान दिया।
 
विश्व के नये सात आश्चर्य फाउंडेशन द्वारा गैलापागोस द्वीपसमूह को प्रकृति के सात नए आश्चर्यों में से एक के लिए एक उम्मीदवार के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। फ़रवरी 2009 तक द्वीप की श्रेणी, समूह बी में द्वीपसमूह की वरीयता प्रथम थी।
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[[चित्र:Galapagos-satellite-esislandnames.jpg|thumb|गैलापागोस द्वीपसमूह का उपग्रह चित्र]]
[[चित्र:Galapagos SPOT 1178.jpg|thumb|right|150px|एक स्पॉट उपग्रह से लिया गया ईसाबेला का चित्र]]
यह द्वीप दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट से 973 किमी (604 मील) की दूरी पर पूर्वी प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इनके सबसे निकट का भूप्रदेश ईक्वाडोर है, जिसका यह द्वीप एक हिस्सा भी हैं। यह ईक्वाडोर के पूर्व, [[कोकोजकोकोस (कीलिंग) द्वीप समूहद्वीपसमूह|कोकोस द्वीप]] के उत्तर 720 किमी (447 मील) और [[ईस्टर द्वीप]] और [[सैन फेलिक्स द्वीप]] के दक्षिण में 3200 किमी (1990 मील) पर स्थित हैं।
 
यह द्वीप 1°40'N-1°36'S, 89°16'-92°01'W निर्देशांक में मध्य पाए जाते हैं। द्वीपसमूह [[भूमध्य रेखा]] के दोनो ओर यानि उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में फैले हुए हैं और ईसाबेला द्वीप ठीक भूमध्य रेखा पर स्थित है। '''एस्पानॉला''' सबसे दक्षिण में और '''डार्विन''' सबसे उत्तरी में एक दूसरे से लगभग 220 किलोमीटर (137 मील)। की दूरी पर स्थित है। हालांकि, [[अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन]] (IHO) के अनुसार यह द्वीपसमूह पूर्णतया दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित है। गैलापागोस द्वीपसमूह 7880 वर्ग किमी (3042 वर्ग मील) के भूमि का प्रसार के साथ समुद्र के 45000 वर्ग किमी (28000 मील) से अधिक में फैले हैं।<ref>International Hydrographic Organization (IHO) Special Publication 23, [http://www.iho.shom.fr/publicat/free/files/S23_1953.pdf ''Limits of Oceans and Seas''], 3rd edition (1953)</ref> सबसे बड़ा द्वीप ईसाबेला है, जिसका क्षेत्रफल 4640 वर्ग किमी है और यह द्वीप समूह के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग आधा है। [[वोल्कन वुल्फ]] जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 1707 मीटर (5600 फुट) है, ईसाबेला द्वीप पर स्थित द्वीपसमूह की सबसे ऊँची चोटी है।
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| [[ईसाबेलाइसाबेला द्वीप (गैलापागोस)|ईसाबेला]]
| ''एल्बेमार्ले''
| 4588 किमी²
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| [[राबिदा द्वीप (गैलापागोस)|राबिदा]]
| ''जर्विस''
| 4.9 किमी²
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== इतिहास ==
गैलापागोस द्वीप समूह की खोज संयोग से 10 मार्च 1535, को उस समय हुई थी, जब धार्मिक डोमिनिकन फ्रे टॉमस डी बर्लंगा जो उस समय [[पनामा]] के बिशप थे, का जहाज एक समुद्री तूफान में भटक कर इन द्वीपों तक आ पहुँचा था। बिशप उस समय [[स्पेन]] के राजा चार्ल्स पंचम के आदेश पर [[इंका सभ्यता|इंका साम्राज्य]] की विजय के बाद, फ्रांसिस्को पिज़ारो और उसके मातहतों के बाच उपजे एक विवाद के समाधान के लिए [[पेरू|पेरु]] की यात्रा पर जा रहे थे।
[[थॉर हेयरडाह्ल]] और [[अर्नि स्कॉल्सवोल्ड]] के 1952 के अपने एक अध्ययन में द्वीप पर कई वस्तुओं और अवशेषों को इन द्वीपों पर ढूंढ़ा जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि स्पेनिशों के आने से बहुत पहले से ही दक्षिण अमेरिका के मूल निवासी इन द्वीपों पर आते रहते थे।
 
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रिचर्ड हॉकिंस, 1593 में गैलापागोस द्वीप समूह की यात्रा करने वाला पहला अंग्रेजी कप्तान था। शुरुआती 19 वीं शताब्दी तक इस द्वीपसमूह का प्रयोग अंग्रेज जलदस्युओं द्वारा एक ठिकाने के रूप में किया जाता था, जो अक्सर सोने और चांदी से भरे दक्षिण अमेरिका से स्पेन जाने वाले स्पेनिश जहाजों (गैलियन) को लूट लेते थे।
 
[[अलेक्जेंडर सेल्कर्क]], जिसके जुऑन फर्नांडीस द्वीपसमूह में किए गये साहसिक कारनामों ने [[डैनियल डेफॉ]] को [[रोबिंसन क्रूसो|रोबिंसन क्रुसो]] लिखने के लिए प्रेरित किया ने गैलापागोस द्वीपों की यात्रा 1708 में की थी जब उसे ''रोजर्स वुडस'' नामक एक जहाजी ने जुऑन फर्नांडीस से उठाया था। रोजर्स, गुआयाकिल को हटाने के बाद द्वीप में अपने जहाज की मरम्मत कर रहा था।
 
गैलापागोस पर पहला वैज्ञानिक अभियान 1790 में '''अलेसान्द्रो मालास्पिना''' के नेतृत्व में आया था। मालास्पिना एक सिसिलियन कप्तान था जिसका अभियान स्पेन के राजा द्वारा प्रायोजित था, हालांकि, अब इस अभियान का कोई लिखित दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।
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ईक्वाडोर ने 12 फ़रवरी 1832 में इस द्वीपसमूह पर कब्जा कर लिया और इसका नाम '''ईक्वाडोर का द्वीपसमूह''' रखा। गैलापागोस के पहले गवर्नर (राज्यपाल), '''जनरल जोस डे विल्लामिल''' ने कुछ सजायाफ्ता लोगों के एक समूह को पहले पहल फ्लोरियाना द्वीप पर बसाया, जल्द ही अक्टूबर 1832 में कुछ शिल्पकार और किसान भी इस द्वीप पर बसने आ गए।
 
15 सितम्बर 1835 को रॉबर्ट फिट्ज़रॉय की कप्तानी में सर्वेक्षण पोत एचएमएस बीगल गैलापागोस द्वीपों पर पहुँचा, पोत पर युवा प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन भी थे। 20 अक्टूबर को अपने विश्व अभियान को जारी रखते हुए डार्विन ने इन द्वीपों से विदा ली पर इससे पहले उन्होने चैथम, चार्ल्स, अल्बेमार्ले और जेम्स द्वीपों पर अपने भूवैज्ञानिक और जीववैज्ञानिक अध्ययन का कार्य किया। डार्विन ने पाया कि हर द्वीप के [[मॉकिंगबर्ड]] जिसे अब [[डार्विन फिन्चेस]] के नाम से जाना जाता है एक दूसरे से अलग और असंबंधित थे और उन्होने इन्हें इनके मातृद्वीप के नाम के अनुसार नामित किया।<ref name=Confessions>{{cite web|url=http://www.vqronline.org/articles/2006/spring/eldredge-confessions-darwinist/|title=VQR - Confessions of a Darwinist|accessdate=2007-12-26|author=Niles Eldredge|authorlink=Niles Eldredge|date= Spring 2006|publisher=The Virginia Quarterly Review|pages=32–53}}</ref> अंग्रेज निकोलस लॉसन, जो गैलापागोस के गवर्नर थे ने डार्विन से चार्ल्स द्वीप पर भेंट की थी और डार्विन को बताया था कि हर द्वीप पर एक अलग प्रकार का कछुआ पाया जाता है। इस यात्रा के अंत में डार्विन ने अनुमान लगाया कि मॉकिंगबर्ड और कछुओं का वितरण " प्रजाति की स्थिरता को कम कर "सकता है।<ref>Keynes, Richard ed. 2000. ''Charles Darwin's zoology notes & specimen lists from H.M.S. Beagle.'' Cambridge: Cambridge University Press. [http://darwin-online.org.uk/content/frameset?itemID=F1840&viewtype=text&pageseq=June 23 – August 1836], [http://darwin-online.org.uk/content/frameset?viewtype=text&itemID=F1840&pageseq=328 291–293]</ref> अपनी इंग्लैंड वापसी पर जब डार्विन ने पक्षियों के नमूनों का विश्लेषण किया तो पाया कि चाहें यह पक्षी प्रत्यक्ष रूप से अलग प्रतीत होते हैं पर यह सभी पक्षी सिर्फ इन्हीं द्वीपों पर पायी जाने वाली फिन्चेस की प्रजातियां थीं। इन तथ्यों के आधार पर डार्विन ने अपने क्रम-विकास से संबंधित, प्राकृतिक चयन के अपने सिद्धांत को अपनी पुस्तक “[[द ओरिजन ऑफ स्पीसीज़ (प्रजातिओं की उत्पत्ति)|द ओरीजन ऑफ स्पीसीज़ (प्रजातिओं की उत्पत्ति)]]" में प्रस्तुत किया।<ref name=Confessions/>
 
सितम्बर 1904 से रोलो बेक के नेतृत्व में कैलिफोर्निया की विज्ञान अकादमी का पूरे एक वर्ष का अभियान गैलापागोस पर चला जिसमे, [[भूविज्ञान]], [[कीटविज्ञान]], [[पक्षीविज्ञान]], [[वनस्पति विज्ञान]], [[जीव विज्ञान]] और [[उभयचर|उभयचरों]] से संबंधित वैज्ञानिक सामग्री इकट्ठा की गयी। 1932 में अकादमी के एक और अभियान (टेम्पलटन क्रोकर अभियान), में [[मछली]], कीड़े, सीपी, [[जीवाश्म]], पक्षियों और पौधों के नमूने एकत्र किए गये।
 
[[द्वितीय विश्वयुद्ध|द्वितीय विश्व युद्ध]] के दौरान ईक्वाडोर ने संयुक्त राज्य अमेरिका को बाल्ट्रा द्वीप पर एक नौसेना बेस और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर रडार स्टेशन स्थापित करने के लिए के प्राधिकृत किया। इस समय बाल्ट्रा पर अमेरिकी एयर फोर्स का भी एक आधार स्थापित किया गया था। बाल्ट्रा में तैनात सैनिक यहाँ प्रशांत क्षेत्र में गश्त लगाकर दुश्मन की पनडुब्बियों पर नज़र रखते थे और [[पनामा नहर]] को सुरक्षा प्रदान करते थे। युद्ध के बाद इन सुविधाओं को ईक्वाडोर की सरकार को सौंप दिया गया। आज यह द्वीप एक आधिकारिक ईक्वाडोर सैन्य आधार है। अमेरिकी आधार के अवशेषों को आज भी देखा जा सकता है। 1946 में ईसाबेला द्वीप पर एक दंड कॉलोनी स्थापित की गयी, लेकिन 1959 में इसे खत्म कर दिया गया। गैलापागोस 1959 में एक राष्ट्रीय उद्यान बन गया और पर्यटन की शुरुआत 1960 के दशक में हुयी।
 
1979 में यूनेस्को ने गैलापागोस द्वीप समूह को [[विश्व धरोहर|विश्व धरोहर स्थल]] के रूप में और छह साल बाद, 1985 में एक [[संरक्षित जैवमंडल|आरक्षित जैवमंडल]] के रूप में मान्यता दी जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इन द्वीपों की ओर गया।
 
2007 में यूनेस्को ने इन द्वीपों को पर्यावरण खतरे में पड़े विश्व धरोहर स्थल घोषित किया और गैलापागोस द्वीपों को खतरे में पड़ी विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया।
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[[चित्र:Waved albatross courtship.jpg|thumb|[[गैलापागोस एल्बाट्रॉस]]' की प्रसिद्ध प्रणय मुद्रा]]
[[चित्र:KneelingSeal.jpg|thumb|गैलापागोस के जलसिंह पालतू की तरह व्यवहार करते हैं और बहुत उत्सुक होते हैं]]
हालांकि गैलापागोस द्वीपो की स्थानीय वनस्पतिक और जीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए पहले सुरक्षा अधिनियम [[१९३४|1934]] में और इसका अनुपूरक [[१९३६|1936]] में लाया गया, लेकिन इन कानूनों पर वास्तविक अमल [[१९५०|1950]] के उत्तरार्ध में ही हो पाया। 1955 में, प्रकृति संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय संध ने एक तथ्यांवेषण मिशन को गैलापागोस भेजा, इसके दो साल बाद, [[१९५७|1957]] में, [[युनेस्को|यूनेस्को]] ने ईक्वाडोर सरकार के सहयोग से एक और अभियान को गैलापागोस में संरक्षण की स्थिति का अध्ययन और अनुसंधान केन्द्र के लिए एक स्थान का चयन करने के लिए भेजा।
 
[[१९५९|1959]] में, ईक्वेडोर सरकार ने द्वीपसमूह भूमि क्षेत्र का 97.5% हिस्सा [[राष्ट्रीय उद्यान]] घोषित कर दिया सिर्फ वही हिस्से छोड़ दिये गये जहाँ पहले से ही बस्तियाँ बसाई जा चुकी थीं। उसी वर्ष [[चार्ल्स डार्विन फाउंडेशन]] (CDF) की स्थापना भी की गयी। [[बेल्जियम]] में गठित, चार्ल्स डार्विन फाउंडेशन एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन था, जिसकी मुख्य जिम्मेदारी गैलापागोस के प्रभावी प्रबंधन के लिए, अनुसंधान कार्य कर, उसके शोध निष्कर्षों को ईक्वाडोर सरकार को सौंपना था। चार्ल्स डार्विन फाउंडेशन के अनुसंधान प्रयासों का काम [[१९६४|1964]] में [[चार्ल्स डार्विन अनुसंधान केन्द्र]] के सांताक्रूज द्वीप पर स्थापना के साथ शुरू हुआ। संरक्षण कार्यक्रम के प्रारंभिक वर्षों के दौरान संरक्षण कार्य जैसे, देशी प्रजातियों का संरक्षण और बाहर से लाई गयी प्रजातियों के उन्मूलन का काम किया गया। चार्ल्स डार्विन फाउंडेशन के शोध निष्कर्षों और संरक्षण के विभिन्न विधियों के विकास की बदौलत गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान सेवा के अधिकतर उद्देश्य अब पूरे हो चुके हैं।
 
[[१९८६|1986]] में आसपास के लगभग 70,000 वर्ग किलोमीटर (43,496 वर्ग मील) समुद्री क्षेत्र को [[संरक्षित समुद्री क्षेत्र]] घोषित कर गया है, जो आकार में [[ऑस्ट्रेलिया]] की [[ग्रेट बैरियर रीफ]] के बाद आकार में दूसरे स्थान पर है। [[१९९०|1990]] में द्वीपसमूह एक [[व्हेल अभयारण्य]] बन गया। [[१९७८|1978]] में यूनेस्को ने इन द्वीपों को [[विश्व धरोहर|विश्व धरोहर स्थल]] के रूप में मान्यता दी और [[१९८५|1985]] में एक [[संरक्षित जैवमंडल|आरक्षित जैवमंडल]] के रूप में, जिसका दिसंबर [[२००१|2001]] में विस्तार कर इसमें आरक्षित समुद्री क्षेत्र को भी शामिल कर लिया गया।
 
=== पर्यावरणीय खतरे ===
मानव द्वारा इन द्वीपों पर गलती या स्वेच्छा से लाये गये पौधे और जानवर, जैसे कि जंगली बकरियाँ, बिल्लियाँ और मवेशी आदि इन द्वीपों की पारिस्थितिकी के लिए मुख्य खतरा साबित हुये हैं। तेजी से प्रजनन करने वाली इन विदेशी प्रजातियों ने यहाँ की मूल प्रजातियों के पर्यावास बरबाद कर दिये हैं। यहाँ की मूल प्रजातियों के जीवों के लिए इन द्वीपों पर कोई प्राकृतिक परभक्षी न होने के कारण वह इन बाहरी जीवों का सामना करने में पूरी तरह असमर्थ थे, यह इन प्रजातियों की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण है।
 
द्वीपों पर बाहर से लाये गये पौधों में [[अमरूद]] ''Psidium guajava'', [[रूचिरा]] ''Persea americana'', कसकारिला ''Cinchona pubescens'', बाल्सा ''Ochroma pyramidale'', ब्लैकबेरी ''Rubus glaucus'', विभिन्न [[निम्बू-वंश|निम्बू वंशीय]] फल (जैसे [[संतरा (फल)|संतरा]], [[चकोतरा]] और [[नीबू]]), फ्लोरीपोन्दियो ''Datura arborea'', हाइगुएरिला ''Ricinus communis'' और हाथी घास ''Pennisetum purpureum'' इन द्वीपों के मूल पौधों कि लिए सबसे ज्यादा हानिकारक साबित हुये हैं। इन पौधों ने अपना फैलाव द्वीपों के एक बड़े क्षेत्र पर करके सैन क्रिस्टोबाल, फ्लोरियाना, ईसाबेला और सांताक्रूज के नम क्षेत्रों से स्थानीय पौधों का सफाया सा कर दिया है। गैलापागोस द्वीपों पर बाहर से लाये गयी पादप प्रजातियों की कुल संख्या 700 है जबकि मूल और स्थानीय प्रजातियां सिर्फ 500 हैं, संख्या का यह फर्क द्वीपों और इन की मूल (प्राकृतिक) प्रजातियों के अस्तित्व के लिए भयंकर खतरा पेश कर रहा है।
 
कई प्रजातियों को इन द्वीपों पर समुद्री डाकुओं द्वारा लाया गया था। थॉर हेयेरडाह्ल ने अपने दस्तावेजों में उल्लेख किया है कि पेरू के वायसराय ने यह जानकर कि अंग्रेज जलदस्यु बकरियाँ खाते हैं और उन्होनें इन बकरियों को इन द्वीपों पर छोड़ा है, इन बकरियों के सफाये के लिए इन द्वीपों पर जानबूझकर कुत्तों को छुड़वाया था। इसके अलावा, जब फ्लोरियाना पर बस्ती बसाने के प्रयास असफल हो गये तो जोस डे विल्लामिल ने, द्वीप पर उपस्थित जानवरों जैसे बकरी, गधों, गायों और अन्य पशुओं को अन्य द्वीपों पर स्थानांतरित करने का आदेश दिया, ताकि बाद के बसावत के प्रयासों में सहायता मिले।