"ज्वर": अवतरणों में अंतर
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बुखार क्यों होता हैं क्या आपको पता है ?https://myupchaars.blogspot.com/2020/02/blog-post_19.html {{SignSymptom infobox |
Name = ज्वर |
other_name = बुखार'', फ़ीवर'' |https://myupchaars.blogspot.com/2020/02/blog-post_19.html
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जब शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाये तो उस दशा को '''ज्वर''' या '''बुख़ार''' (फीवर) कहते है। यह रोग नहीं बल्कि एक लक्षण (सिम्टम्) है जो बताता है कि शरीर का ताप नियंत्रित करने वाली प्रणाली ने शरीर का वांछित ताप (सेट-प्वाइंट) १-२ डिग्री सल्सियस बढा दिया है। मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 37°[[सेल्सियस]] या 98.4°F [[फैरेनहाइट]] होता है। जब शरीर का [[तापमान]] इस सामान्य स्तर से ऊपर हो जाता है तो यह स्थिति ज्वर या बुखार कहलाती है। ज्वर कोई रोग नहीं है। यह केवल रोग का एक लक्षण है। किसी भी प्रकार के संक्रमण की यह शरीर द्वारा दी गई प्रतिक्रिया है। बढ़ता हुआ ज्वर रोग की गंभीरता के स्तर की ओर संकेत करता है।
== कारण ==https://myupchaars.blogspot.com/2020/02/blog-post_19.html
निम्नलिखित रोग ज्वर का कारण हो सकते है-
* [[मलेरिया]]
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*[[डेंगू]]
== साधारण ज्वर के लक्षण ==https://myupchaars.blogspot.com/2020/02/blog-post_19.html
साधारण ज्वर में शरीर का तापमान ३७.५ डि.से. या १०० फैरेनहाइट से अधिकहोना, सिरदर्द, ठंड लगना, जोड़ों में दर्द, भूख में कमी, कब्ज होना या भूख कम होना एवं थकान होना प्रमुख लक्षण हैं।
इसके उपचार हेतु सरल उपाय पालन करें:https://myupchaars.blogspot.com/2020/02/blog-post_19.html
रोगी को अच्छे हवादार कमरे में रखना चाहिये। उसे बहुत सारे द्रव पदार्थ पीने को दें। स्वच्छ एवं मुलायम वस्त्र पहनाऍं, पर्याप्त विश्राम अति आवश्यक है। यदि ज्वर 39.5 डिग्री से. या 103.0 फैरेनहाइट से अधिक हो या फिर 48 घंटों से अधिक समय हो गया हो तो डॉक्टर से परामर्श लें।
इसके अलावा रोगी को खूब सारा स्वच्छ एवं उबला हुआ पानी पिलाएं, शरीर को पर्याप्त कैलोरिज देने के लिये, ग्लूकोज, आरोग्यवर्धक पेय (हेल्थ ड्रिंक्स), फलों का रस आदि लेने की सलाह दी जाती है। आसानी से पचनेवाला खाना जैसे चावल की कांजी, साबूदाने की कांजी, जौ का पानी आदि देना चाहिये। दूध, रोटी एवं डबलरोटी (ब्रेड), माँस, अंडे, मक्खन, दही एवं तेल में पकाये गये खाद्य पदार्थ न दें।
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;जई (जौ) (ओटस्)
* जई में वसा एवं नमक की मात्रा कम होती है; वे प्राकृतिक लौह तत्व का अच्छा स्रोत है। कैल्शियम का भी उत्तम स्रोत होने के कारण, जई हृदय, अस्थि एवं नाखूनों के लिये आदर्श हैं।
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* जई में कुछ अद्वितीय वसा अम्ल (फैटी एसिड्स) एवं ऐन्टी ऑक्सिडेन्टस् होते हैं जो विटामिन ई के साथ एकत्रित होकर कोशिका क्षति की रोकथाम करता है एवं कर्करोग कैंसर के खतरा को कम करता है।
== इन्हें भी देखें ==https://myupchaars.blogspot.com/2020/02/blog-post_19.html
* [[मस्तिष्क ज्वर]]
== सन्दर्भ ==
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* [http://akbaranwal.blogspot.com/2009/07/104-105-5-10-1-2-3-4-4-3-4-aconite.html होम्योपैथिक और ज्वर]।{{हिन्दी चिह्न}}।[[२० जुलाई]], [[२००९]]। अकबरनवाल
[[श्रेणी:लक्षण]]https://myupchaars.blogspot.com/2020/02/blog-post_19.html
[[श्रेणी:रोग]]
[[श्रेणी:ज्वर]]
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