"पुष्टिमार्ग": अवतरणों में अंतर
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==परिचय==
वल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित [[
पुष्टिमार्ग शुद्धाद्वैत के दर्शन को ही भक्ति में ढालता है। पुष्टि का शाब्दिक अर्थ है ‘पोषण’। श्रीमद्भागवत में ईश्वर के अनुग्रह को पोषण कहा गया है- “पोषणं तदनुग्रहः”। वल्लभाचार्य के अनुसार, “कृष्णानुग्रहरूपा हि पुष्टिः कालादि बाधक”। अर्थात् कालादि के प्रभाव से मुक्त करने वाला कृष्ण का अनुग्रह ही पुष्टि है। पुष्टिमार्गी भक्ति का मूलाधार भगवतकृपा और उनके प्रति पूर्ण समर्पण है। भक्त के भगवान की ओर ध्यान ले जाने के पहले ही भगवान भक्त पर अपनी कृपा वर्षा कर देता है। कृष्ण की मुरली द्वारा गोपियों पर कृपा वर्षा होती है। कृष्ण की यह मुरली अनुग्रह संचारिका है। पुष्टिमार्ग में भक्त स्वय को पूर्णतया भगवान के आसरे छोड़ देता है।
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