"भारतीय विधि आयोग": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 4:
 
=== प्रथम आयोग ===
प्रथम आयोग 1833 के चार्टर ऐक्ट के अंतर्गत सन्‌ 1834 में बना। इसके निर्माण के समय भारत [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी|ईस्ट इंडिया कंपनी]] के शासन में था किंतु विधि पारित करने के लिए कोई एकमेव सत्ता न थी, न्यायालयों का अधिकारक्षेत्र अस्पष्ट एवं परस्पर स्पर्शी था तथा कुछ विधियों का स्वरूप भी भारत के प्रतिकूल था। इस स्थिति को दृष्टि में रखते हुए [[लार्ड मैकाले]] ने ब्रिटिश पार्लमेंट में भारत के लिए एक विधि आयोग की निर्मिति पर बल दिया।
 
प्रथम आयोग के चार सदस्य थे जिसमें मैकाले अध्यक्ष थे। इस आयोग को वर्तमान न्यायालयों के अधिकारक्षेत्र एवं नियमावली, तथा ब्रिटिश भारत में प्रचलित समस्त विधि के विषय में जाँच करने, रिपोर्ट देने और जाति धर्मादि को ध्यान में रखकर उचित सुझाव देने का कार्य सौंपा गया।
पंक्ति 28:
 
=== पंचम आयोग ===
'''भारत की स्वतंत्रता के बाद''' ५ अगस्त १९५५ को पंचम आयोग की घोषणा भारतीय [[भारतीय संसद|संसद]] में हुई। इसका कार्य पूर्व आयोगों से भिन्नता लिए हुए था। उनका मुख्य कार्य था नवनिर्माण तथा संशोधन। इसके अध्यक्ष थे श्री [[मोतीलाल चिमणलाल सेटलवाड]] और उनके अतिरिक्त १० अन्य सदस्य थे।
 
इसके समक्ष दो मुख्य कार्य रखे गए। एक तो न्याय शासन का सर्वतोमुखी पुनरवलोकन और उसमें सुधार हेतु आवश्यक सुझाव, दूसरा प्रमुख केंद्रीय विधियों का परीक्षण कर उन्हें आधुनिक अवस्था में उपयुक्त बनाने के लिए आवश्यक संशोधन प्रस्तुत करना। प्रथम समस्या पर अपनी चतुर्दश रिपोंर्ट में आयोग ने जाँच के परिणामस्वरूप उत्पन्न विचार व्यक्त किए। इस रिपोर्ट में आयोग ने [[भारत का उच्चतम न्यायालय|सर्वोच्च न्यायालय]], [[उच्च न्यायालय]], तथा अधीन न्यायालय, न्याय में क्लिंब, वादनिर्णय, डिक्री निष्पादन, शासन के विरुद्ध वाद, न्यायालय शुल्क, विधिशिक्षा, वकील, विधिसहायता, विधि रिपोर्ट, एवं न्यायालय की भाषा आदि महत्वपूर्ण विषयों पर मत प्रगट किए।
 
अपने कार्य के दूसरे पक्ष में विधि आयोग ने अनेक प्रतिवेदन अब तक प्रस्तुत किए है। यह सभी अत्यंत खोजपूर्ण और महत्वपूर्ण हैं। जिन विषयों पर अब तक रिपोर्ट आ चुकी हैं उनमें प्रमुख हैं दुष्कृति में शासन का दायित्व, बिक्रीकर संबंधी संसदीय विधि, उच्चन्यायालयों के स्थान से संबंधित समस्या, ब्रिटिश विधि जो भारत में लागू है, [[पंजीकरण विधि १९०८]], [[भागिता विधि १९३२]] एवं [[भारतीय साक्ष्य विधि]], इत्यादि।