"सर्वोदय": अवतरणों में अंतर

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'''सर्वोदय''', अंग्रेज लेखक [[जॉन रस्किन|रस्किन]] की एक पुस्तक '''[[अन्टू दिस लास्ट|अनटू दिस लास्ट]]''' का [[महात्मा गांधी|गांधी जी]] द्वारा [[गुजराती भाषा|गुजराती]] में [[अनुवाद|अनूदित]] एक पुस्तक है। 'अन्टू द लास्ट' का अर्थ है - '''इस अंतवाले को भी'''। सर्वोदय का अर्थ है - सबका उदय, सबका विकास।
 
सर्वोदय भारत का पुराना आदर्श है। हमारे ऋषियों ने गाया है-"सर्वेपि सुखिन: संतु"। सर्वोदय शब्द भी नया नहीं है। जैन मुनि समंतभद्र कहते हैं - '''सर्वापदामंतकरं निरंतं सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव।''' "सर्व खल्विदं ब्रह्म", "वसुधैव कुटुंबकं", अथवा "सोऽहम्" और "तत्त्वमसि" के हमारे पुरातन आदर्शों में "सर्वोदय" के सिद्धांत अंतर्निहित हैं।
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(5) ''' विकेंद्रीकरण''' - सर्वोदय सत्ता और संपत्ति का विकेंद्रीकरण चाहता है जिससे शोषण और दमन से बचा जा सके। केंद्रीकृत औद्योगीकरण के इस युग में तो यह और भी आवश्यक हो गया है। विकेंद्रीकरण की यही प्रक्रिया जब सत्ता के विषय में लागू की जाती है, तब इसकी निष्पत्ति होती है शासनमुक्त समाज में। साम्यवादी की कल्पना में भी राजसत्ता तेज गर्मी में रखे हु घी की तरह अंत में पिघल जानेवाली है। परंतु उसके पहले उसे जमे हुए घी की तरह ही नहीं, बल्कि ट्रट्स्की के सिर पर मारे हुए हथौड़े की तरह, ठोस और मजबूत होना चाहिए। (ग्रामस्वराज्य)। परंतु गांधी जी ने आदि, मध्य और अंत तीनों स्थितियों में विकेंद्रीकरण और शासनमुक्तता की बात कही है। यही सर्वोदय का मार्ग है।
 
== [[पूंजीवाद|पूँजीवाद]], [[साम्यवाद]] और सर्वोदय ==
इस समय संसार में उत्पादन के साधनों के स्वामित्व की दो पद्धतियों प्रचलित हैं - निजी स्वामित्व (प्राइवेट ओनरशिप) और सरकार स्वामित्व (स्टेट ओनरशिप)। निजी स्वामित्व पूँजीवाद है, सरकार स्वामित्व साम्यवाद। पूँजीवाद में शोषण है, साम्यवाद में दमन। भारत की परंपरा, उसकी प्रतिभा और उसकी परिस्थिति, तीनों की माँग है कि वह राजनीतिक और आर्थिक संगठन की कोई तीसरी ही पद्धति विकसित करे, जिससे पूँजीवाद के "निजी अभिक्रम" और साम्यवाद के "सामूहिक हित" का लाभ तो मिल जाए, किंतु उनके दोषों से बचा जा सके। गांधी जी की "ट्रस्टीशिप" और "ग्रामस्वराज्य" की कल्पना और विनोबा की इस कल्पना पर आधारित "ग्रामदान-ग्राम स्वराज्य" की विस्तृत योजना में, दोनों के दोषों का परिहार और गुणों का उपयोग किया गया है। यहाँ स्वामित्व न निजी है, न सरकार का, बल्कि गाँव का है, जो स्वायत्त है। इस तरह सर्वोदय की यह क्रांति एक नई व्यवस्था संसार के सामने प्रस्तुत कर रही है।