"गौतम बुद्ध नगर जिला": अवतरणों में अंतर

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''' [[गौतम बुद्ध]] नगर''' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक मह्त्वपूर्ण [[ज़िला|जिला]] है। इस जिले की स्थापना 9 जून 1997<ref>http://myupwebsite.com/gautam-buddha-nagar.html</ref> को [[बुलन्दशहर]] एवं [[ग़ाज़ियाबाद ज़िला|गाजियाबाद]] जिलों के कुछ ग्रामीण व अर्द्धशहरी क्षेत्रों को काटकर की गयी थी। प्रदेश में सत्ता-परिवर्तन होते ही [[मुलायम सिंह यादव]] ने इस जिले को भंग कर दिया जिसके विरोध में यहाँ की जनता ने प्रबल आन्दोलन किया था। बाद में जनता के दबाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश [[सरकार]] को अपना निर्णय बदलना पड़ा और जिला बहाल किया गया।
 
आज स्थिति यह है कि गौतम बुद्ध नगर जिला प्रदेश की [[राजस्व प्राप्ति]] में अपनी प्रमुख भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र [[दिल्ली]] से सटे हुए इस जिले का मुख्यालय [[ग्रेटर नोएडा]] में अवस्थित है।
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== इतिहास ==
[[चित्र:Bismil Park2811.JPEG|thumb|left|150px|[[राम प्रसाद 'बिस्मिल'|बिस्मिल उद्यान]], [[ग्रेटर नोएडा]]]]
इस जिले की स्थापना 9 जून 1997 को [[बुलन्दशहर]] एवं [[ग़ाज़ियाबाद ज़िला|गाजियाबाद]] जिलों के कुछ ग्रामीण व अर्द्धशहरी क्षेत्रों को काटकर की गयी थी। आज इसमें [[नोएडा]] व ग्रेटर नोएडा जैसे व्यावसायिक उप महानगर शामिल हो चुके है। [[दादरी]] विधान सभा क्षेत्र भी इसी जिले का एक हिस्सा बन चुका है।<ref>http://gbnagar.nic.in/</ref> वह दादरी जहाँ की जनता ने 1857 के प्रथम स्वातन्त्र्य समर में काफी योगदान दिया था। दादरी के राव उमराव सिंह समेत आसपास के 84 लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बुलंदशहर से लेकर लालकुंआ तक के बीच के हिस्से में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी शासन की नाक में दम कर दिया था। जिस पर अंग्रेजों ने राव उमराव सिंह समेत क्षेत्र के 84 क्रांतिकारियों को बुलंदशहर के काला आम पर फांसी लगाई थी। जिससे चलते आज भी बुलंदशहर का काला आम चर्चित है। वहीं अंग्रेजी हकूमत ने क्रांतिकारियों के परिवार के संपत्ति को छीन लिया गया था। उनके मकानों को तोड़ दिया गया था। शहीदों की याद में आज भी दादरी तहसील पसिसर में स्थित आज भी शहीद स्तंभ मौजूद है। जिस पर 84 क्रांतिकारियों के नाम अंकित है। वहां दादरी के मैन तिराहे पर राव उमराव सिंह की प्रतिमा स्थित है। हर साल उनकी याद में 15 अगस्त और 26 जनवरी को विभिन्न समाजसेवी संगठनों और प्रमुख लोगों के द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किए जाते है। दादरी में स्वतन्त्रता सेनानी राव उमराव सिंह की मूर्ति आज भी देखी जा सकती है।
इससे भी पूर्व 11 सितम्बर 1803 को ब्रिटिश आर्मी व मराठों की सेना के बीच हुए निर्णायक युद्ध के स्मारक के रूप में [[नोएडा]] के गोल्फ कोर्स परिसर के अन्दर ब्रिटिश जनरल गेरार्ड लेक की स्मृति को दर्शाता अंग्रेज वास्तुविद एफ़॰ लिस्मन द्वारा बनाया हुआ "जीतगढ़ स्तम्भ" आज भी दूर से ही दिखायी देता है।