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सन्यासी विद्रोहियों ने अपनी स्वतंत्र सरकार बोगरा में बनाई
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अट्ठारहवीँ शती के अन्तिम वर्षों 1760-1800ई में [[ब्रिटिश साम्राज्य|अंग्रेजी शासन]] के विरुद्ध तत्कालीन [[भारत]] के कुछ भागों में सन्यासियों (केना सरकार , दिर्जीनारायण) ने उग्र आन्दोलन किये थे जिसे [[इतिहास]] में '''सन्यासी विद्रोह''' कहा जाता है। यह आन्दोलन अधिकांशतः उस समय [[ब्रिटिश भारत के प्रेसीडेंसी और प्रांत|ब्रिटिश भारत]] के [[बंगाल]] और [[बिहार]] प्रान्त में हुआ था।
 
[[बाङ्ला भाषा|बांग्ला भाषा]] के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार [[बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय]] का सन १८८२ में रचित उपन्यास [[आनन्द मठ]] इसी विद्रोह की घटना<ref>निहालचन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित ''बंकिम समग्र'' [[१९८९|1989]] हिन्दी प्रचारक संस्थान [[वाराणसी]] पृष्ठ ९९१ </ref> पर आधारित है।
सन्यासी विद्रोहियों ने अपनी स्वतंत्र सरकार बोग्रा में बनाई मैमनसिंह के नेतृत्व में