"ट्यूलिप": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 32:
}}
[[चित्र:Tulipa suaveolens floriade to Canberra.jpg|right|thumb|200px|ट्यूलिप के फूल]]
'''ट्यूलिप''' (Tulip) [[वसंत|वसंत ऋतु]] में फूलनेवाला पादप है। ट्यूलिप (Tulip) के नैसर्गिक वासस्थानों में [[आनातोलिया|एशिया माइनर]], [[अफ़ग़ानिस्तान|अफगानिस्तान]], [[कश्मीर]] से [[कुमाऊँ]] तक के हिमालयी क्षेत्र, उत्तरी [[ईरान]], [[पेरू (पक्षी)|टर्की]], [[चीन]], [[जापान]], [[साइबेरिया|साइबीरिया]] तथा [[भूमध्य सागर]] के निकटवर्ती देश विशेषतया उल्लेखनीय हैं। [[वनस्पति विज्ञान]] के ट्यूलिया (Tulipa) वंश का पारिभाषिक उद्गम ईरानी भाषा के शब्द टोलिबन (अर्थात् पगड़ी) से इसलिये माना जाता है कि ट्यूलिप के फूलों को उलट देने से ये [[पगड़ी]] नामक शिरोवेश जैसे दिखाई देते हैं। ट्यूलिपा वंश के सहनशील पौधों का वानस्पतिक कुल लिलिएसिई (Liliaceae) है। टर्की से यह पौधा 1554 ई0 में [[ऑस्ट्रिया]], 1571 ई0 में [[नीदरलैण्ड|हॉलैंड]] और 1577 ई0 में [[इग्लैंड]] ले जाया गया। इस पौधे का सर्वप्रथम उल्लेख 1559 ई0 में गेसनर ने अपने लेखों और चित्रों में किया था और उसी के आधार पर ट्यूलिपा गेसेनेरियाना (Tulipa gesenereana) का नामकरण हुआ। अल्प काल में ही इसके मनमोहक फूलों के चित्ताकर्षक रूपरंग के कारण यह पौधा यूरोप भर में सर्वप्रिय होकर फैल गया है।
[[चित्र:A tulip inside vo 021be.jpg|thumb|right|ट्यूलिप के अंदर]]
 
== वर्गीकरण एवं विशेषताएँ ==
ट्यूलिपा वंश के पौधों के वैविध्य के कारण उनका यथोचित [[वर्गिकी|वर्गीकरण]] कठिन है। लगभग 100 जातियों के 4,000 पौधों का वर्णन मिलता है। अत: साधारणतया इन्हें अगेती और पिछेती फूलनेवाले पौधों के दो मुख्य वर्गों में विभक्त किया जाता है।
 
फूलों में गंध का सर्वथा अभाव रहता है। मनमोहक, विशुद्ध और मिश्रित लाल, सुनहरे और बैगनी रंगों में इन फूलों का रूपरंग दर्शकों को मोहित कर लेता है। फूलों की पंखुड़ियाँ एकदली और बहुदली दोनों प्रकार की होती हैं। पौधे छोटे ही होते हैं, परंतु उनके भूमिगत कंदों के बीच में से निकले हुए फूलदार डंठल की ऊँचाई 760 मिमी0 तक होती है।