"हिन्दवी स्वराज": अवतरणों में अंतर

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'''स्वराज्य''' एक सामाजिक एवं राजनयिक शब्द है जिसकी मूल विचारधारा [[भारतवर्षभारत]]वर्ष को हर प्रकार के विदेशी सैन्य व राजनैतिक प्रभाव से मुक्त करना है। इस शब्द के प्रणेता [[छत्रपति शिवाजी|छत्रपति शिवाजी महाराज]] हैं जिन्होंने पहली बार इस शब्द प्रयोग 1645 इ० के एक पत्र में किया था। इसी विचार को नारा बना कर [[छत्रपति शिवाजी|शिवाजी महाराज]] ने संपूर्ण भारतवर्ष को एकत्रित करने के लिये अफ़ग़ानों, मुग़लों, पोर्तुगीज और अन्य विदेशी मूल के शासकों द्वारा शासित हुक़ूमतों के ख़िलाफ़ किया था। उनकी मुख्य विचारधारा भारत को विदेशी आक्रमणकारियो के प्रभाव से मुक्त करना था,क्योंकि वे भारतीय जनता, विशेषता हिन्दुओं पर अत्याचार करते थे, उनके धर्माक्षेत्रों को नष्ट किया करते थे और उनका जबरन धर्मपरिवर्तन किया करते थे। [[भारत का स्वतंत्रता अंदोलन|स्वतंत्रा संग्राम]] के दौरान इसी विचारधारा को [[बाल गंगाधर तिलक|बालगंगाधर तिलक]] ने [[ब्रिटिश साम्राज्य]] के ख़िलाफ़ पुनर्जीवित किया था।'''पूर्णतः भारतीय''' स्वराज।
 
==इन्हें भी देखें==
*[[मराठा साम्राज्य]]
*[[हिन्दू राष्ट्रवाद]]
*[[भारत का राजनीतिक एकीकरण|भारत का राजनैतिक एकीकरण]]
 
== सन्दर्भ ==