"दहन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Midsummer bonfire closeup.jpg|right|thumb|300px|आक्सीजन की उपस्थिति में लकड़ी का दहन]]
[[किसी]] जलने वाले पदार्थ के [[वायु]] या [[आक्सीकरणरेडॉक्स|आक्सीकारक]] द्वारा जल जाने की क्रिया को '''दहन''' या जलना (Combustion) कहते हैं। दहन एक [[ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया]] (exothermic reaction) है। इस क्रिया में दहन आँखों से ज्वाला दिख भी सकती है और नहीं भी। इस प्रक्रिया में [[ऊष्मा]] तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे प्रकाश) भी उत्पन्न होते हैं। आम दहन के उत्पाद [[गैस|गैसों]] के द्वारा [[प्रदूषण]] भी फैलता है। [[विज्ञान]] के इतिहास में [[अग्नि]] वा [[ज्वाला]] सबंधी सिद्धांतों का विशेष महत्व रहा है।
 
उदाहरण के लिए किसी [[हाइड्रोकार्बन]] के दहन का सामान्य रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है-
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== इतिहास ==
मध्यकालीन युग तक लोग अग्नि को एक तत्व मानते रहे। [[रॉबर्ट बॉयल]] (Robert Boyle) तथा [[रॉबर्ट हुक]] (Robert Hook) ने यह दिखलाया कि यदि किसी बर्तन से हवा निकाल दी जाए तो उसमें [[गंधक]] या [[कोयला]] नहीं जलेगा और यदि उसमें पुन: हवा प्रविष्ट कर दी जाए तो वह फिर जल उठेगा। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि [[शोरापोटैशियम नाइट्रेट|शोरे]] (saltpetre) के साथ किसी पदार्थ का मिश्रण शून्य स्थान में भी प्रज्वलित हो जाता है, जिससे यह पता लगता है कि हवा तथा शोरे दोनों में कोई ऐसा पदार्थ है जिसके कारण ज्वलन की क्रिया होती है। बाद में यह भी पता चला कि हवा में किसी पदार्थ के जलने से हवा के आयतन में कमी हो जाती है तथा बची हुई हवा निष्क्रिय होती है, जिसमें दहन संभव नहीं है। यह भी मालूम हुआ कि बंद स्थान में जीवधारियों की श्वासक्रिया से भी वही परिणाम मिलता है। अत: श्वासक्रिया तथा दहन समान क्रियाएँ हैं।
 
'''स्टाल''' (G.E. Stahl) ने 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में फ्लाजिस्टन सिद्धांत का प्रतिपादन किया, परंतु उसने बॉयल द्वारा ज्ञात तथ्यों की ओर ध्यान नहीं दिया। उसने यह बतलाया कि प्रत्येक दाह्य पदार्थ दो प्रमुख अवयवों से बना होता है। एक फ्लोजिस्टन, जो दहन क्रिया होने पर निकल जाता है तथा दूसरा राख (calx), जो बाद में बच रहती है। यह विचारधारा 1774 ई. तक प्रचलित रही। 1775 ई. में प्रीस्टले (Priestley) तथा शेले (Scheele) ने एक गैस का पता लगाया, जिसका नाम बाद में लाब्वाज़्ये (Lavoisier) ने ऑक्सीजन रखा। सन् 1783 में लाब्वाज़्ये ने सुझाव रखा कि हवा का सक्रिय भाग ऑक्सीजन है, दहन में इसी की आवश्यकता पड़ती है और बिना इसके दहन संभव नहीं है। उसने यह भी बतलाया कि दाह्य पदार्थों के साथ जलते समय ऑक्सीजन रासायनिक संयोग करता है।
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== गैसीय ईंधनों का दहन ==
[[चित्र:ErstickteKerze.ogg|thumb|इससे प्रदर्शित होता है कि सतत दहन के लिए वायु (आक्सीजन) आवश्यक है।]]
गैसों के अणु गतिशील होते हैं और एक दूसरे से टकराते रहते हैं। निम्न ताप पर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ता, परंतु ऊँचे ताप पर टकराने से पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे रासायनिक क्रियाएँ संपन्न हो सकती है। [[ईन्धन|ईंधन]] और [[ऑक्सीजन]] के बीच की दहन क्रिया पहले सरल समझी जाती थी, पर अब सिद्ध हो गया है कि ये जटिल शृंखंलाबद्ध क्रियाएँ हैं। अधिक ऊर्जावाले अणुओं की टक्कर से परमाणु या मुक्तमूलक बनते हैं। ये मंद शृंखलाक्रियाएँ या तीव्र शृंखला-क्रियाएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/दहन" से प्राप्त