"स्वर्ग लोक": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
AshokChakra (वार्ता | योगदान) निरंजन लाटिया द्वारा अच्छी नीयत से किये बदलाव पूर्ववत किये। (ट्विंकल) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है |
||
पंक्ति 10:
[[हिन्दू धर्म]] में [[विष्णु पुराण]] के अनुसार, '''कृतक त्रैलोक्य''' -- भूः, भुवः और स्वः – ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं। सूर्य और ध्रुव के बीच जो चौदह लाख योजन का अन्तर है, उसे स्वर्लोक कहते हैं।
[[हिन्दू धर्म|हिंदु]] धर्म में, [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] शब्द '''स्वर्ग''' को [[मेरु पर्वत]] के ऊपर के लोकों हेतु प्रयुक्त होता है। यह वह स्थान है, जहाँ पुण्य करने वाला, अपने पुण्य क्षीण होने तक, अगले जन्म लेने से पहले तक रहता है। यह स्थान उन [[आत्मा]]ओं हेतु नियत है, जिन्होंने पुण्य तो किए हैं, परंतु उन्में अभी [[मोक्ष]] या [[मुक्ति]] नहीं मिलनी है। यहाँ सब प्रकार के आनंद हैं, एवं पापों से परे रहते हैं। इसकी राजधानी है [[अमरावती]], जिसका द्वारपाल है, [[इन्द्र|इंद्र]] का वाहन [[ऐरावत]]। यहाँ के राजा हैं, [[इन्द्र|इंद्र]], देवताओं के प्रधान।
{{HinduMythology}}
|