"चावल": अवतरणों में अंतर

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"पीएनएएस' इस विज्ञानविषयक पत्रिका में प्रसिद्ध किए गए संशोधन अनुसार चावल की खेती को नौ हजार वर्ष पूर्व चीन में शुरुवात हुई। इस सिद्धान्तानुसार चावल की दो प्रजाती, पहिली "ओरिजा सॅटिव्हा जेपोनिका' और दूसरी "ओरिजा सॅटिव्हा इंडिका' यह एशिया अलग अलग भागों में भिन्न भिन्न पद्धती से लगाए गए और यह सिद्धान्त जग में मान्य हुआ है।कारण इन दोनों प्रजातींयो के जीन्स में नाममात्र फरक है और अन्य प्रजाती इन दो मूल प्रजातींयो से तैयार हुए हैं। जेपोनिका यह प्रजाती के कण (दाणे) छोटे होते हैं तो इंडिका प्रजाती के दाने बडे़ होते हैं।
 
न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के मायकेल पुरुगनम के नेतृत्व में ये संशोधन किया गया था। तांदुचावल के जीन्स का जनुकांचा अभ्यास करूनकरके त्यांनीउन्होंने इतिहासाचाइतिहास का अभ्यास करण्याचाकरने का प्रयत्‍न केलाकिया. जेपोनिका आणिऔर इंडिका याये दोन्हीदोनों प्रजातींचेप्रजाती मूळके एकचमूल असल्याचेएक त्यांनाही आढळूनहै आले.ऐसा दिखाई दिया कारण दोन्हींच्यादोनो जनुकांमध्येके मोठ्याजिन्स प्रमाणातमें साम्यबड़े होते.पैमाने त्यानंतरपर संशोधकांनीसमानता थी उसके बाद वैज्ञानिकों ने "मॉलेक्‍युलर' घड्याळाच्याघडी तंत्राचाकी वापरतकनीक करूनका त्याउपयोग पहिल्यांदाकरके केव्हावह लावण्यातपहिली आल्यादफा याचाकब शोधलगाई घेण्याचागई प्रयत्‍नइसकी केला.खोज त्यावरूनलेने असेका ध्यानातप्रयास आलेकिया कीइस पर से ऐसा समझ आया कि इ.स.पू. सहाछह तेसे सात हजार वर्षांपूर्वीवर्षपूर्व तांदूळचावल पहिल्यांदापहली शास्त्रोक्तबार पद्धतीनेवैज्ञानिक लावण्यातपद्धती आलासे असलालगाया पाहिजेगया होगा. इसवी सनपूर्वसन पूर्व २००० च्याके आसपास जेपोनिका आणिऔर इंडिका याइन दोन्हीदोनों प्रजाती वेगळ्याअलग झाल्याहुई होगी. या संशोधकांच्याइन मतेवैज्ञानिकों इतिहासातीलके दाखलेहीमतानुसार याइतिहास शोधाचीके दाखले भी इस खोज की पुष्टी करतात.करते इतिहासातीलहैं। इतिहास में की गई नोंदींनुसार चीनमधीलचीन की यांगत्से नदी
 
==पोषक तत्त्व==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/चावल" से प्राप्त