"भारतीय मनोविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=नवंबर 2015}}'''भारतीय मनोविज्ञान''' [[भारत]] में अति प्राचीन काल से आज तक हुए मनोवैज्ञानिक अध्ययनों और अनुसंधानों का समग्र रूप है।'भारतीय' कहने से यही तात्पर्य है कि [[भारत की संस्कृति|भारतीय संस्कृति]] की पृष्टभूमि में जिस [[मनोविज्ञान]] का विकास हुआ वह इस क्षेत्र में भारत का विशेष योगदान माना जा सकता है।
 
==भारतीय मनोविज्ञान की विशेषताएँ==
* [[दर्शनशास्त्र|दर्शन]] की शाखा
* [[आत्मा]] का विज्ञान
* व्यावहारिक
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* भौतिक शरीर के अतिरिक्त सूक्ष्मशरीर तथा कारण शरीर
* '''धार्मिक मनोविज्ञान''' - भारतीय मनोविज्ञान आत्मविकास और चरित्र-निर्माण में सर्वाधिक उपयोगी हो सकता है।
* '''मानव व्यक्तित्व की संरचना''' : मनुष्य में ५ कर्मेन्द्रियाँ और ५ ज्ञानेन्द्रियाँ है, इनके ऊपर मन और मन के परे बुद्धि है।इनके अलावा मनुष्य मूल रूप से [[आत्मा]], पुरुष अथवा जीव है जो [[व्यक्तित्व]] की समस्त संरचना को चलाता है। [[उपनिषदउपनिषद्|उपनिषदों]] और [[श्रीमद्भगवद्गीता|गीता]] में दी गयी व्यक्तित्व की यह संरचना ही षड्दर्शनों एवं विचार के अन्य क्षेत्रों में भी दिखायी देती है।
 
==भारत में मनोविज्ञान का विकास==
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भारतीय मनोविज्ञान का आधुनिक काल [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] के दर्शनशास्त्र विभाग में 1915 में प्रारंभ हुआ जहाँ प्रायोगिक मनोविज्ञान का प्रथम पाठ्यक्रम आरंभ किया गया तथा प्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला स्थापित हुई। कलकत्ता विश्वविद्यालय ने 1916 में प्रथम मनोविज्ञान विभाग तथा 1938 में अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान का विभाग प्रारम्भ किया।
 
कलकत्ता विश्वविद्यालय में आधुनिक प्रायोगिक मनोविज्ञान का प्रारम्भ भारतीय मनोवैज्ञानिक डॉ॰ [[एन.एन. सेनगुप्ता]], जो [[वुण्ट]] की प्रायोगिक परंपरा में अमेरिका में प्रशिक्षण प्राप्त थे, से बहुत प्रभावित था। प्रोफेसर [[गिरीन्द्रशेखर बोस]] [[सिग्मंड फ्रायड|फ्रायड]] के मनोविश्लेषण में प्रशिक्षण प्राप्त थे- एक ऐसा क्षेत्र जिसने भारत में मनोविज्ञान के आरंभिक विकास को प्रभावित किया। प्रोफेसर बोस ने ‘[[भारतीय मनोविश्लेषण सोसायटी|इंडियन साइकोएनेलिटिकल एसोसिएशन]]’ की स्थापना 1922 में की थी। [[मैसूर विश्वविद्यालय]] एवं [[पटना विश्वविद्यालय]] में मनोविज्ञान के अध्यापन एवं अनुसंधान के प्रारंभिक केंद्र प्रारंभ हुए। प्रारंभ से मनोविज्ञान भारत में एक सशक्त विद्याशाखा के रूप में विकसित हुआ। मनोविज्ञान अध्यापन, अनुसंधान तथा अनुप्रयोग के अनेक केंद्र हैं। मनोविज्ञान में उत्कृष्टता अथवा वैशिष्ट्य के दो केंद्र [[उत्कल विश्वविद्यालय]], [[भुवनेश्वर]] तथा [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]], [[विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत)|विश्वविद्यालय अनुदान आयोग]] द्वारा सहायता प्राप्त हैं। करीब 70 विश्वविद्यालयों में मनोविज्ञान के पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं।
 
[[दुर्गानन्द सिन्हा]] ने अपनी पुस्तक ‘साइकोलॉजी इन ए थर्ड वर्ल्ड कन्ट्री : दि इंडियन एक्सपीरियन्स’ (1986 में प्रकाशित) में भारत में सामाजिक विज्ञान के रूप में चार चरणों में आधुनिक मनोविज्ञान के इतिहास को खोजा है। उनके अनुसार, प्रथम चरण स्वतन्त्रता की प्राप्ति तक एक ऐसा चरण था जब प्रयोगात्मक, मनोविश्लेषणात्मक एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण अनुसंधान पर बहुत बल था जिससे पाश्चात्य देशों का मनोविज्ञान के विकास में योगदान परिलक्षित हुआ था। द्वितीय चरण में 1960 तक भारत में मनोविज्ञान की विविध शाखाओं में विस्तार का समय था। इस चरण में भारतीय मनोविज्ञानिकों की इच्छा थी कि भारतीय पहचान के लिए पाश्चात्य मनोविज्ञान को भारतीय संदर्भों से जोड़ा जाए। उन्होंने ऐसा प्रयास पाश्चात्य विचारों द्वारा भारतीय परिस्थितियों को समझने के लिए किया। फिर भी, भारत में मनोविज्ञान 1960 के बाद भारतीय समाज के लिए समस्या-केंद्रित अनुसंधानों द्वारा सार्थक हुआ। मनोवैज्ञानिक भारतीय समाज की समस्याओं के प्रति अधिक ध्यान देने लगे। पुनश्च, अपने सामाजिक संदर्भ में पाश्चात्य मनोविज्ञान पर अतिशय निर्भरता का अनुभव किया जाने लगा। महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिकों ने उस अनुसंधान की सार्थकता पर अधिक बल दिया जो हमारी परिस्थितियों के लिए सार्थक हों।
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==इन्हें भी देखें==
*[[योग]]
*[[श्रीमद्भगवद्गीता|गीता]]
 
==बाहरी कड़ियाँ==
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*[https://www.ijip.in The International Journal of Indian Psychology]
*[https://www.indianpsychology.net Pondicheny Psychology Association]
*[https://www.vniindia.com/30009 प्राचीन मनोविज्ञान को भूल रहे हैं भारतीय] ([[तेनजिन ग्यात्सो|दलाई लामा]])
*[https://www.dalailamahindi.com/news/post/245------------------ परम पावन दलाई लामा का डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, नई दिल्ली में चिकित्सा कर्मचारियों के लिए संबोधन]
*[https://ojaswiyuvashaktidal.word_press.com/2015/03/20/bharatiya-manovigyan-vs-freud-manpvogyan/ भारतीय मनोविज्ञान बनाम फ्रायड(पाश्चात्य) मनोविज्ञान]