"तन्त्रिका तन्त्र": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Nervous system diagram-hi.svg|thumb|right|[[होमो सेपियन्स|मानव]] का '''तंत्रिकातंत्र''']]
जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे '''तन्त्रिका तन्त्र''' (Nervous System) कहते हैं। तंत्रिकातंत्र में [[मस्तिष्क]], [[मेरूरज्जु|मेरुरज्जु]] और इनसे निकलनेवाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है। [[न्यूरॉन|तन्त्रिका कोशिका]], तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। तंत्रिका कोशिका एवं इसकी सहायक अन्य [[कोशिकाएँकोशिका]]एँ मिलकर तन्त्रिका तन्त्र के कार्यों को सम्पन्न करती हैं। इससे प्राणी को वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त होती तथा एककोशिकीय प्राणियों जैसे [[अमीबा]] इत्यादि में तन्त्रिका तन्त्र नहीं पाया जाता है। [[हाइड्रा]], [[प्लेनेरिया]], [[तिलचट्टा]] आदि बहुकोशिकीय प्राणियों में तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। मनुष्य में सुविकसित तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है।
 
== तंत्रिकातंत्र के भाग ==
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=== स्थिति एवं रचना के आधार पर ===
तन्त्रिका तन्त्र के दो मुख्य भाग किये जाते हैं-
* [[केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र|केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र]] (Central nervous system) एवं
:* [[मस्तिष्क]]
:* [[मेरु रज्जुमेरूरज्जु|मेरुरज्जु]]
 
* [[परिधीय तंत्रिका तंत्र]] (Peripheral nervous system)
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:* Extrapyramidal system
 
* [[स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली|आत्मग तंत्रिकातंत्र]] (The autonomic nervous system)
:* [[अनुकंपी तंत्रिकातंत्र]] (sympathetic) और
:* [[परानुकंपी तंत्रिकातंत्र]] (parasympathetic)
 
[[मस्तिष्क]] और [[मेरूरज्जु]], '''[[केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र|केंद्रीय तंत्रिकातंत्र]]''' कहलाते हैं। ये दोनों शरीर के मध्य भाग में स्थित हैं। इनमें वे केंद्र भी स्थित हैं, जहाँ से शरीर के भिन्न भिन्न भागों के संचालन तथा गति करने के लिये आवेग (impulse) जाते हैं तथा वे आवेगी केंद्र भी हैं, जिनमें शरीर के आभ्यंतरंगों तथा अन्य भागों से भी आवेग पहुँचते रहते हैं। दूसरा भाग '''परिधि तंत्रिकातंत्र''' (peripheral Nervous System) कहा जाता है। इसमें केवल तंत्रिकाओं का समूह है, जो मेरूरज्जु से निकलकर शरीर के दोनों ओर के अंगों में विस्तृत है। तीसरा '''आत्मग तंत्रिकातंत्र''' (Autonomic Nervous System) है, जो मेरूरज्जु के दोनों ओर गंडिकाआं की लंबी श्रंखलाओं के रूप में स्थित है। यहाँ से सूत्र निकलकर शरीर के सब आभ्यंतरांगों में चले जाते हैं और उनके समीप जालिकाएँ (plexus) बनाकर बंगों में फैल जो हैं। यह तंत्र ऐच्छिक नहीं प्रत्युत स्वतंत्र है और शरीर के समस्त मुख्य कार्यो, जैसे रक्तसंचालन, श्वसन, पाचन, मूत्र की उत्पत्ति तथा उत्सर्जन, निस्रावी ग्रंथियों में स्रावों (हॉरमोनों की उत्पत्ति) के निर्माण आदि क संचालन करता है। इसके भी दो विभाग हैं, एक '''अनुकंपी''' (sympathetic) और दूसरा '''परानुकंपी''' (parasympathetic)।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[तंत्रिकाविकृति विज्ञान]]
* [[तंत्रिका|तन्त्रिका]]
* [[जैविक तंत्रिका तंत्र]]
* [[कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क]]