"दरियाई घोड़ा": अवतरणों में अंतर

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उसे आसानी से विश्व का दूसरा सबसे भारी स्थलजीवी स्तनी कहा जा सकता है। वह 14 फुट लंबा, 5 फुट ऊंचा और 4 टन भारी होता है। उसका विशाल शरीर स्तंभ जैसे और ठिंगने पैरों पर टिका होता है। पैरों के सिरे पर हाथी के पैरों के जैसे चौड़े नाखून होते हैं। आंखें सपाट सिर पर ऊपर की ओर उभरी रहती हैं। कान छोटे होते हैं। शरीर पर बाल बहुत कम होते हैं, केवल पूंछ के सिरे पर और होंठों और कान के आसपास बाल होते हैं। चमड़ी के नीचे चर्बी की एक मोटी परत होती है जो चमड़ी पर मौजूद रंध्रों से गुलाबी रंग के वसायुक्त तरल के रूप में छूती रहती है। इससे चमड़ी गीली एवं स्वस्थ रहती है। दरियाई घोड़े की चमड़ी खूब सख्त होती है। पारंपरिक विधियों से उसे कमाने के लिए छह वर्ष लगता है। ठीक प्रकार से तैयार किए जाने पर वह २ इंच मोटी और चट्टान की तरह मजबूत हो जाती है। हीरा चमकाने में उसका उपयोग होता है।
 
प्राचीन ग्रीक भाषा में इनके नाम का मतलब होता है दरियाई घोड़ा, हालाँकि आधुनिक विज्ञान इन्हें सूअर की प्रजाति के नज़दीक पाता है. सबसे ताज़ा शोध में पाया गया है कि व्हेल की प्रजाति से इनका संबंध अधिक है. जैसा पहले समझा जाता था, ये पसीने के रूप में खून नहीं निकालते हैं, बल्कि इनके पसीने में एक लाल रंग का बैक्टीरियारोधी सनस्क्रीन द्रव होता है. लेकिन दरियाई घोड़ों की 30.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार ने जीव वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है.
 
== सन्दर्भ ==