"प्रकाशीय दूरदर्शी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:EightInchTelescope.JPG|right|thumb|300px|आठ-इंच वाला अपवर्तक दूरदर्शी]]
'''प्रकाशीय दूरदर्शी''' (optical telescope) ऐसा [[दूरदर्शी|दूरदर्शक]] है जो दूरस्थ पिण्ड का [[आवर्धन|आवर्धित प्रतिबिम्ब]] प्राप्त करने के लिये विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के दृश्य भाग का सहारा लेता है। (न कि एक्स-रे या रेडियो तरंगों का)। इससे प्राप्त प्रतिबिम्ब को सीधे आंख से देखा जा सकता है, फोटोग्राफ लिया जा सकता है या इलेक्ट्रानिक इमेज सेंसरों की सहायता से आंकड़े संचित किये जा सकते हैं।
 
प्रकाशीय दूरदर्शी मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-
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परावर्तन दूरबीन में परावर्तक दर्पण का विशेष महत्व होता है। इस दर्पण की श्रेष्ठता इस बात में है कि इसकी पॉलिश धुँधली न पड़े। चार भाग ताँबा और एक भाग टिन की बनी स्पेक्यूलम धातु पर्याप्त कठोर होती है और सफेद पॉलिश को आसानी से पकड़ लेती है।
 
[[लीबिख]] (Liebig) द्वारा [[कांच|काच]] पर चाँदी की फिल्म चढ़ाने की विधि का आविष्कार होने पर फूको (Foucault) ने सन् १८५७ में यह प्रस्ताव किया कि धातु के स्पेक्यूलम के स्थान पर काच के दर्पण का उपयोग किया जाना चाहिए। धातु के बने दर्पण दो मुख्य कठिनाइयाँ उपस्थित करते थे :
:(१) धातु के दर्पण की पॉलिश धुँधली हो जाने पर नई पॉलिश चढ़ाने के लिए उसको खुरचना पड़ता था। इस खुरचने से दर्पण के पृष्ठ पर विकृति होने की आशंका रहती थी और कभी कभी उसका फिर से घर्षण (grinding) करना पड़ता था।
 
:(२) इसके अतिरिक्त, ताप (temperature) के परिवर्तन से धातु के दर्पण में प्रसार या संकोच होता था, जिससे उसकी फोकस दूरी में अंतर हो जाता था। काच के दर्पण का रजतपटल यदि धुँधला भी हो जाता है तो आसानी से नया रजतपटल चढ़ा लिया जाता है।
 
आजकल रजतपटल के स्थान पर काच के दर्पण पर ऐल्यूमिनियम का पटल चढाने की प्रथा है। वायु में खुला छोड़ने पर ऐल्यूमिनियम का [[रेडॉक्स|आक्सीकरण]] (oxidation) हो जाता है, जिससे यह पटल सख्त और स्थायी बन जाता है।
 
=== प्रकार ===