"प्राच्य कलीसिया": अवतरणों में अंतर

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'''प्राच्य कलीसिया''', [[ईसाई धर्म]] में, उन ईसाई [[कलीसिया| कलीसियाओं]] अथवा सम्प्रदायों को कहा जाता है जो आराधना, धार्मिकता तथा संगठन के विषय में [[अंतिओक]], [[येरुसलेम]], [[सिकंदरिया]] और [[क़ुस्तुंतुनिया|कुस्तुंतुनिया]] जैसे प्राचीन मसीही केंद्रों की प्रणाली अपनाते हैं उन्हें। इसे अक्सर पूर्वी कलीसिया भी कहा जाता है, क्योंकि वे [[रोम]] के पूरब में केंद्रित हैं। पूर्वी कलीसिया का इतिहास [[धार्मिक महाविच्छेद|महाविच्छेद]] पर केंद्रित है, जब पहली बार, ईसाई धर्म दो सम्प्रदायों में बंटा। इन समुदायों के सदस्य आजकल पश्चिम यूरोप तथा अमरीका में भी पाए जाते हैं। अधिकांश तो वे [[रोम के चर्च]] से अलग हो गए हैं किंतु उनमें सब मिलाकर लगभग डेढ़ करोड़ रोमन काथलिक हैं, जो रोम का शासन स्वीकार करते हैं यद्यपि वे अन्य प्राच्य चर्च वालों की भाँति पूजा में अपनी ही प्राचीन पद्धति पर चलते हैं और अन्य रोमन काथलिक समुदायों की तरह [[लातिन भाषा|लैटिन भाषा]] का प्रयोग नहीं करते। रोम से संयुक्त रहने वाले प्राच्य चर्चों को और उनके सदस्यों को यूनिएट (एकतावादी) कहते हैं।
 
==इतिहास==
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:*(इ) सन् ३०० ई. से ईसाई धर्म आरमीनिया का राजधर्म घोषित किया गया था। बाद में आरमीनिया ने मोनोफिसाइट सिद्धांत अपनाया। आजकल आरमीनियन ईसाइयों की संख्या लगभग २५ लाख है जो अधिकांश रूस में निवास करते हैं।
 
*(३) [[रोमन साम्राज्य]] की राजधानी बनने के कारण कुस्तुंतुनिया पूर्व यूरोप का प्रधान ईसाई केंद्र बन गया था। इस केंद्र से ईसाई धर्म रूस तथा समस्त पूर्व यूरोप में फैल गया। अत: सन् १९५४ में जब कुस्तुंतुनिया का चर्च रोम से अलग हो गया तो पूर्व यूरोप के प्राय: समस्त ईसाई समुदायों ने कुस्तुंतुनिया का साथ दिया (देखें, [[ईसाई धर्म का इतिहास|चर्च का इतिहास]])। उन समुदायों को आर्थोदोक्स (अर्थात् 'सही शिक्षा का अनुयायी') कहा जाता है क्योंकि वे ११वीं शती तक रोमन चर्च द्वारा धर्म सिद्धांत के रूप में घोषित सभी धार्मिक शिक्षाएँ स्वीकार करते हैं।
 
उत्पत्ति की दृष्टि से वे सभी समुदाय कुस्तुंतुनिया से संबद्ध हैं, किंतु सन् १४४८ ई. में रूस का चर्च स्वाधीन हो गया और बाद में बहुत से राष्ट्रीय समुदायों ने अपने को स्वतंत्र घोषित किया। फिर भी आजकल पूर्व यूरोप के बहुत से अर्थोदोक्स चर्च (यूनान, साइप्रस, अलबानिया, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, पोलैंड) कुस्तुंतुनिया अथवा पेत्रियार्क को अपना अध्यक्ष मानते हैं, यथापि व उनका हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करते। सर्विया (यूगोस्लाविया), बुलगारिया, रूमानिया तथा जार्जिया के आर्थोदोक्स समुदाय अपने को पूर्ण रूप से स्वतंत्र घोषित कर चुके हैं।