"रजस्": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है |
||
पंक्ति 1:
[[सांख्य दर्शन]] में [[सत्त्व]], [[रजस्]] और [[तमस]] - ये तीन [[गुण (भारतीय संस्कृति)|गुण]] बताये गये हैं। इनमें '''रजस् ''' मध्यम स्वभाव है जिसके प्रधान होने पर व्यक्ति यथार्थ जानता तो है पर लौकिक सुखों की इच्छा के कारण उपयुक्त समय उपयुक्त कार्य नहीं कर पाता है। उदाहरणार्थ किसी व्यक्ति को पता हो कि उसके बॉस ने किसी के साथ अन्याय किया हो लेकिन अपनी पदोन्नति के लोभ में वो उसकी आलोचना या अपनी नाख़ुशी नहीं जताता है। इमके बारे में [[श्रीमद्भगवद्गीता|गीता]] सहित कई ग्रंथों में बताया गया है।
==इन्हें भी देखें==
*[[गुण (भारतीय संस्कृति)]] या [[गुण (भारतीय संस्कृति)|त्रिगुण]]
*[[सत्त्व]]
*[[तमस्]]
|