"परिनालिका": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:VFPt Solenoid correct2.svg|thumb|right|परिनालिका द्वारा उत्पादित चुम्बकीय क्षेत्र]]
'''परिनालिका''' (solenoid) एक त्रिबिमीय (three-dimensional) [[कुण्डली]] (coil) को कहते हैं। [[भौतिक शास्त्र|भौतिकी]] में परिनालिका [[कमानी|स्प्रिंग]] की भांति बनाये गये तार की संरचना को कहते हैं जिसमें से [[धारा]] प्रवाहित करने पर चुम्बकीय क्षेत्र निर्मित होता है। प्राय: ये तार किसी अचुम्बकीय पदार्थ (जैसे प्लास्टिक) के बेलनाकार आधार पर लिपटे रहते हैं जिसके अन्दर कोई अचुम्बकीय क्रोड, (जैसे हवा) या चुम्बकीय क्रोड (जैसे लोहा) हो सकता है। परिनालिकाएँ इसलिये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनकी सहायता से नियंत्रित चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण किया जा सकता है तथा वे [[
== परिनालिका का चुम्बकीय क्षेत्र ==
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हवा या निर्वात के कोर वाली बहुत लम्बी परिनालिका का [[प्रेरकत्व]] (लगभग) निम्नलिखित सूत्र से दिया जाता है:
:<math>L \approx \frac{\mu_0 N^2 A}{l}</math>.
जहाँ <math>A</math> परिनालिका का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल (<math>A=r^2 \pi</math>) है तथा <math>\mu_0</math> [[निर्वात]] की [[चुम्बकशीलता|पारगम्यता]] है।
छोटी लम्बाई की परिनलिकाओं का प्रेरकत्व निम्नलिखित सूत्र से निकाला जा सकता है:
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