"स्वचालित गणक मशीन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो Ismile Laskar (Talk) के संपादनों को हटाकर 1997kB के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है |
||
पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2014}}
{{आज का आलेख}}
[[चित्र:ATM 750x1300.jpg|thumb|[[संयुक्त राज्य अमेरिका|यू.एस]] की एक एनसीआर पर्सोनास 75-सीरीज़ आंतरिक, बहुप्रकार्य एटीएम मशीन]]
[[चित्र:49024-SOS-ATM.JPG|thumb|right|ट्राईटॉन ब्राण्ड एटीएम मशीन]]
'''स्वचालित गणक मशीन''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:''आटोमेटिड टैलर मशीन'', लघु:''एटीएम'') को आटोमेटिक बैंकिंग मशीन, कैश पाइंट, होल इन द वॉल, बैंनकोमैट जैसे नामों से [[यूरोप]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमेरिका]] व [[रूस]] आदि में जाना जाता है। यह मशीन एक ऐसा [[दूरसंचार]] नियंत्रित व [[कंप्यूटर|कंप्यूटरीकृत]] उपकरण है जो ग्राहकों को वित्तीय हस्तांतरण से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध कराता है।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-92342.html एटीएम]। हिन्दुस्तान लाइव। 21 जनवरी 2010</ref> इस हस्तांतरण प्रक्रिया में ग्राहक को कैशियर, क्लर्क या बैंक टैलर की मदद की आवश्यकता नहीं होती है। खुदरा यानि रिटेल बैंकिंग के क्षेत्र में एटीएम बनाने का विचार समांनातर तौर [[जापान]], [[स्वीडन]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमेरिका]] और [[इंग्लैण्ड|इंग्लैंड]] में जन्मा और विकसित हुआ। हालांकि सबसे पहले इसका प्रयोग कहां शुरू हुआ यह अभी तय नहीं हो पाया है।
== इतिहास ==
मौटे मौर, [[लंदन]] और [[न्यूयॉर्क]] में सबसे पहले इससे प्रयोग में लाए जाने के उल्लेख मिलते हैं। [[१९६०|1960]] के दशक में इसे बैंकोग्राफ के नाम से जाना जाता था। कुछ दावों के अनुसार सबसे पहले प्रायोगिक तौर पर [[१९६१|1961]] में सिटी बैंक ऑफ न्यूयॉर्क ने [[न्यूयॉर्क नगर|न्यूयॉर्क शहर]] में ग्राहकों की सेवा में चालू किया था। वैसे ग्राहकों ने तब इसे अस्वीकृत कर दिया था। इस कारण छह माह के बाद ही इससे हटा लिया गया था। इसके बाद [[टोक्यो]], [[जापान]] में [[१९६६|1966]] में इसका उपयोग हुआ था। आधुनिक एटीएम की सबसे पहली पीढ़ी का प्रयोग [[२७ जून|27 जून]], [[१९६७|1967]] में [[लंदन]] के बार्केले बैंक ने किया था। उस समय तक कुछ ही ग्राहकों को इसकी सेवा का लाभ मिल पाया था। उस समय आज के एटीएम कार्ड के बजाए [[क्रेडिट कार्ड]] के जरिए इसकी सेवाओं का उपयोग किया जाता था। इसके पहले ग्राहक कॉमेडी एक्टर रेग वरने बने थे। [[इंग्लैण्ड|इंग्लैंड]] ने प्रयोग में लाई गई मशीन के आविष्कार का श्रेय जॉन शेपर्ड को जाता है। इसके विकास में इंजीनियर डे ला रूई का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान एटीएम मशीनें इंटरबैंक नेटवर्क से जुड़ी होती हैं। यह नेटवर्क पीयूएलएसइ, पीएलयूएस आदि नामों से जाने जाते हैं।
== प्रयोग ==
पंक्ति 22:
== समस्याएं ==
[[चित्र:Postomat-Windows-p1020441.jpg|thumb|180px|कई बार एटीएम मशीन का [[प्रचालन तन्त्र|प्रचालन तंत्र]] भी हैंग हो जाता है।]]
ग्राहकों के लिए बैंकों से रुपयों की निकासी सरल बनाने हेतु एटीएम मशीनों को लागू किया गया था, लेकिन इन एटीएम मशीनों में भी कई समस्याएं आती रहती हैं। इनके कारण ग्राहकों को कई बार परेशानी उठानी पड़ जाती है। मशीन से कभी नकली नोट निकल आते हैं तो कभी बिना नोट निकले ही निकाले गए रुपयों की खाली रसीद बाहर दिखा देती है। इसका संभावित कुछ हद तक कारण बैंकों में चाइनीज कंप्यूटर तकनीक का प्रयोग माना जा रहा है। इसके अलावा हाल की कुछ घटनाओं से एटीएम मशीन को ही चोरी कर ले जाने की घटनाएं सुनाई दी हैं।<ref name="दुखड़े">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/tayaarinews/67-67-92348.html एटीएम से जुड़े हैं दुखड़े हजार]|</ref> इनके कारण चोरी या लूट का अलार्म न बजना या मशीन के तार काटे जाने पर स्विच यानी कंट्रोल रूम को खबर भी न लग पाना आदि हैं।
एटीएम मशीन मरम्मत के लिये खुली होने की स्थिति में स्विच के साथ अपना संपर्क तोड़ देती है। ऐसे समय बैंक अधिकारी या एटीएम वैंडर के सामने मशीन की आवश्यक मरम्मत की जाती है। परंतु एटीएम मशीनों की चेस्ट या तिजोरी खुली होने की दशा में भी ये मशीनें स्विच को झूठा संदेश देते हुए आनलाइन रहती हैं। यानी ऐसा संभव है कि मशीन चोर ले जाएं और स्विच को खबर भी न लगे।
|