"त्रिकोणमितीय फलन": अवतरणों में अंतर

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==ग्राफ==
{{triple image|center|sinus.svg|280|cosinus.svg|280|Tangente.svg|280|[[ज्या]] (sine), [[कोज्या]] (cosine) और [[त्रिकोणमितीय फलन|स्पर्शज्या]] (tangent) फलनों का ग्राफीय निरूपण}}
 
== परस्पर संबन्ध ==
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== त्रिकोणमितीय फलनों का इतिहास ==
[[आर्यभट्टआर्यभट]]्ट के [[सूर्यसिद्धान्त]] में ''''ज्या'''' तथा ''''कोटिज्या'''' का प्रयोग हुआ है जो क्रमशः sine व cosine के समानार्थी हैं। भारत से यह ज्ञान अरबों के पास गया और फिर यूरोप को गया।
 
आज प्रयोग किये जाने वाले सभी छः त्रिकोणमितीय फलन ९वीं शती तक इस्लामी गणित में प्रयोग होने लगे थे। अल-ख्वारिज्मी ने ज्या, कोज्या और स्पर्शज्या की सारणियाँ बनायी थी।
 
[[संगमग्राम के माधव]] ने पंद्रहवीं शदी के आरम्भ में त्रिकोणमितीय फलनों का का अध्ययन [[श्रेणी (गणित)|श्रेणी]] के रूप में किया है।
 
== सन्दर्भ ==
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==इन्हें भी देखें==
* [[प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन|प्रतिलोम त्रिकोणीमितीय फलन]] या [[प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन|प्रतिलोम वृत्तीय फलन]] (Inverse trigonometric functions)
* [[अतिपरवलयिक फलन|हाइपरबोलिक फलन]]
* [[ज्या, कोटिज्या और उत्क्रमज्या]] का इतिहास