"बीवी हो तो ऐसी": अवतरणों में अंतर

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| writer = जगदीश कनवाल (संवाद)
| story = जे॰ के॰ बिहारी
| starring = [[रेखा]], <br />[[फ़ारुख़ शेख़|फारूक शेख]], <br />[[बिन्दू]], <br />[[कादर ख़ान]], <br />[[असरानी]], <br />[[सलमान ख़ान]] <br />
| screenplay = जगदीश कनवाल <br /> विजय कुमार
| released = 26 अगस्त, 1988
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| budget =
}}
'''बीवी हो तो ऐसी''' 1988 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसको लिखित और निर्देशित जे॰ के॰ बिहारी ने किया और मुख्य भूमिकाओं में [[रेखा]], [[फ़ारुख़ शेख़|फारूक शेख]] और [[बिन्दू]] हैं। संगीत [[लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल]] ने दिया है। यह [[सलमान ख़ान]] (आवाज किसी और ने डब की<ref>{{cite news |title=सलमान खान ने साइड हीरो बनकर की थी बॉलीवुड में एंट्री, डबिंग करने का नहीं मिला था मौका |url=https://khabar.ndtv.com/news/bollywood/salman-khan-first-movie-was-biwi-ho-to-aisi-in-bollywood-1902166 |accessdate=20 दिसंबर 2018 |work=[[एनडीटीवी इंडिया]] |date=17 अगस्त 2018}}</ref>) और रेणु आर्य की पहली फ़िल्म है।
 
== संक्षेप ==
भंडारी समृद्ध उच्च वर्ग का परिवार है। घर में कमला ([[बिन्दू]]) का प्रभुत्व है जो भंडारी परिवार के सारे फैसले लेती हैं। वह पारिवारिक व्यवसाय का ख्याल रखती है, जबकि उसके घर पर रहने वाला पति कैलाश ([[कादर ख़ान]]) एक घर जमाई है। कमला चाहती है कि उसका सबसे बड़ा बेटा सूरज ([[फ़ारुख़ शेख़|फारूक शेख]]) एक ऐसी लड़की से विवाह करे जिसकी सामाजिक स्थिति उनके साथ मेल खाती हो।
 
हालाँकि, उनकी इच्छाओं के विपरीत, सूरज अपने दिल की मानता है और गरीब लेकिन प्रतिभाशाली गाँव की लड़की शालू ([[रेखा]]) से शादी करता है। ये कमला को बहुत क्रोधित करता है। अपने हास्यपूर्ण लेकिन हमेशा किसी योजना के साथ तैयार सचिव ([[असरानी]]) के साथ, कमला ने उसे घर से बाहर निकालने का प्रण लिया और उसके खिलाफ चतुर और चालाक रणनीतियां इस्तेमाल की।
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अपमान और अंतहीन व्यक्तिगत हमलों के बाद, शालू अपनी शैली में जवाब देती है। उसकी असली पहचान अंत में प्रकट होती है। अपने अशिष्ट गाँव की लड़की की पहचान के विपरीत उसने स्पष्ट भाषण के साथ सभी को झटका दिया।
 
उसके पिता अशोक मेहरा (भंडारी परिवार के मित्र) ने उसकी असली पहचान प्रकट की। कमला को पता चलता है कि शालू मेहरा की [[ऑक्सफ़ोर्ड|ऑक्सफोर्ड]] से शिक्षित बेटी है, जिसने अपने ससुर कैलाश के साथ मिलकर, परिवार में अपना रास्ता बनाया था ताकि कमला को नम्रता और मानवता का सबक सिखाया जा सके। कैलाश पहली बार कमला के खिलाफ मुखर हो जाता है।
 
कमला परिवार के प्रति अपने व्यवहार के लिए अपनी गलती को महसूस करती है जब वे सभी उसे और घर को छोड़ने का फैसला करते हैं। कमला पश्चाताप कर ईमानदारी से सभी से माफी माँगती है और खुशी अंततः भंडारी परिवार में प्रवेश करती है।
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== मुख्य कलाकार ==
* [[रेखा]] — शालू मेहरा
* [[फ़ारुख़ शेख़|फारूक शेख]] — सूरज भंडारी
* [[बिन्दू]] — डॉ॰ कमला भंडरी, सूरज की माँ
* [[कादर ख़ान]] — श्री कैलाश भंडारी, सूरज का पिता
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| title2 = मेरे दुल्हे राजा
| lyrics2 = समीर
| extra2 = [[अलका याज्ञिक|अलका याज्ञनिक]]
| length2 = 5:52