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यकृत के विकारों में प्रथम जलोदर होकर पश्चात्‌ उदरगुहागत शिराओं पर द्रव का दबाव पड़ने से पैरों पर सूजन आती है। हृदय-रोगों में प्रथम पैरों पर सूजन, दिल में धड़कन, साँस की कठिनाई इत्यादि लक्षण मिलते हैं और कुछ काल के पश्चात्‌ जलोदर उत्पन्न होता है। [[गुर्दा|वृक्कविकार]] में प्रथम देह शीथ का, विशेषतया प्रात:काल चेहरे तथा आँखों पर सूजन दिखाई देने का इतिहास मिलता है और कुछ काल के पश्चात्‌ जलोदर होता है। इन सामान्य कारणों के अतिरिक्त कभी-कभी तरुणों में [[जीर्ण क्षय पेटझिल्लीशोथ]] (chronic tuberculous peritonitis) और अधिक उम्र के रोगियों में कर्कट एवं दुष्ट रक्तक्षीणता (pernicious anaemia) भी जलोदर के कारण हो सकते हैं।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
 
*[https://www.lifemotos.com/wp-admin/post.php?post=612&action=edit यकृत विकार]
*[https://www.lifemotos.com/wp-admin/post.php?post=590&action=edit शरीर पर सूजन]
 
[[श्रेणी:रोग के लक्षण]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/जलोदर" से प्राप्त