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==इतिहास==
राजनय मानव इतिहास के प्राचीनतम पेशों में से एक है, वर्तमान [[अन्तरराष्ट्रीय विधि|अंतरराष्ट्रीय विधि]] का प्रचलन आरंभ होने के बहुत पूर्व से ही [[रोम]], [[चीन]], [[यूनान]] और [[भारत]] आदि देशों में एक राज्य से दूसरे राज्य में दूत भेजने की प्रथा प्रचलित थी। [[कौटिल्यचाणक्य|कौटिल्यकृत]]कृत [[अर्थशास्त्र]] और '[[नीतिवाक्यामृत]]' में प्राचीन भारत में प्रचलित दूतव्यवस्था का विवरण मिलता है। इस काल में दूत अधिकांशत: अवसरविशेष पर अथवा कार्यविशेष के लिए ही भेजे जाते थे। [[यूरोप]] में [[रोमन साम्राज्य]] के पतन के उपरांत छिन्न भिन्न दूतव्यवस्था का पुनरारंभ चौदहवीं शताब्दी में [[इटली]] के स्वतंत्र राज्यों एवं [[पोप]] द्वारा दूत भेजने से हुआ। स्थायी राजदूत को भेजने की नियमित प्रथा का श्रीगणेश इटली के गणतंत्रों एवं फ्रांस के सम्राट् लुई ग्यारहवें ने किया। सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक दूतव्यवस्था यूरोप के अधिकांश देशों में प्रचलित हो गई थी।
 
== परिचय ==
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*(4) कार्यभारवाहक (Charges de' affaires)।
 
औपचारिकता एवं शिष्टचार के अतिरिक्त इस वर्गीकरण का अब कोई महत्व नहीं है। [[राष्ट्रमंडल (बहुविकल्पी शब्द)|राष्ट्रमंडल]] के सदस्य राष्ट्रों के बीच परस्पर भेजे जानेवाले दूत '[[उच्चायुक्त]]' कहे जाते हैं।
 
एक राष्ट्र में स्थित विदेशों के राजनयिक दूतों के समूह को 'राजनयिक निकाय' (Diplomatic corps) कहते हैं। इसमें वरिष्ठतम दूत को 'दूतशिरोमणि' (Doyen) कहते हैं। राजनयिक निकाय दूतों के सम्मान एवं उन्मुक्तियों के पालन का ध्यान रखता है।
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* अपने देश तथा मेजबान देश के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बढ़ावा देना
* स्वदेश तथा मेजबान देश के बीच वाणिज्यिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक सम्बन्धों का विकास करना
* [[पासपोर्ट|पारपत्र]] (पासपोर्ट), [[वीजा (दस्तावेज)|वीजा]] तथा अन्य यात्रा-सम्बन्धी प्रपत्र जारी करना
 
== प्रसिद्ध राजनयिक ==
* [[कार्डिनल रिचलू]] ([[फ़्रान्स|फ्रांस]])
* [[कासलरे]] ([[इंग्लैण्ड]])
* [[केमिल बेंसो कावूर]] ([[इटली]])
* [[बिस्मार्क]] ([[प्रशिया|प्रुशिया]])
* [[मेटरनिख]] (आस्ट्रिया)
* [[तेलेराँ]] (फ्रांस)