"सोग़दा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Sogdian_New_Year_Festival,_Northern_Qi.jpg|thumb|230px|एक चीनी शिल्प-वस्तु पर सोग़दाई लोगों का चित्रण]]
[[चित्र:BezeklikSogdianMerchants.jpg|thumb|230px|सोग़दाई व्यापारी भगवान बुद्ध को भेंट देते हुए (बाएँ की तस्वीर के निचले हिस्से को दाई तरफ़ बड़ा कर के दिखाया गया है)]]
'''सोग़दा''', '''सोग़दिया''' या '''सोग़दियाना''' (ताजिक: Суғд, सुग़्द; [[तुर्की भाषाएँभाषा परिवार|तुर्की]]: Soğut, सोग़ुत) [[मध्य एशिया]] में स्थित एक प्राचीन सभ्यता थी। यह आधुनिक [[उज़्बेकिस्तान]] के [[समरक़न्द]], [[बुख़ारा]], [[ख़ुजन्द]] और शहर-ए-सब्ज़ के नगरों के इलाक़े में फैली हुई थी। सोग़दा के लोग एक [[सोग़दाई भाषा|सोग़दाई]] नामक भाषा बोलते थे जो [[पूर्वी ईरानी भाषाएँ|पूर्वी ईरानी भाषा]] थी और समय के साथ विलुप्त हो गई। माना जाता है कि आधुनिक काल के [[ताजिक लोग|ताजिक]], [[पठान|पश्तून]] और यग़नोबी लोगों में से बहुत इन्ही सोग़दाई लोगों के वंशज हैं।
 
== नाम का उच्चारण ==
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== इतिहास ==
सोग़दा के लोग स्वतंत्रता-पसंद और लड़ाके माने जाते थे और उनका राष्ट्र ईरान के [[हख़ामनी साम्राज्य]] और [[शक|शक लोगों]] के बीच स्थित था।<ref>Independent Sogdiana: Lane Fox (1973, 1986:533) notes Quintus Curtius, vi.3.9: with no satrap to rule them, they were under the command of Bessus at Gaugamela, according to Arrian, iii.8.3.</ref> जब ३२७ ईसापूर्व में [[सिकंदर|सिकंदर महान]] के नेतृत्व में [[यूनानी]] सेनाएँ यहाँ पहुँची तो उन्होंने यहाँ के प्रसिद्ध सोग़दाई शिला नामक क़िले पर क़ब्ज़ा जमा लिया। उन्होंने [[बैक्ट्रिया]] और सोग़दा को एक ही राज्य में शामिल कर दिया। इस से सोग़दाई स्वतंत्रता ऐसी मरी कि फिर कभी वापस ना आ पाई। फिर यहाँ एक यूनानी राजाओं का सिलसिला चला। २४८ ई॰पू॰ में दिओदोतोस प्रथम (Διόδοτος Α) ने यहाँ यवन-बैक्ट्रियाई राज की नीव रखी। आगे चलकर यूथिदिमोस (Ευθύδημος) ने यहाँ सिक्के गढ़े जिनकी नक़ल सभी क्षेत्रीय शासकों ने की। यूक्रातिदीस प्रथम (Ευκρατίδης Α) ने बैक्ट्रिया से अलग होकर कुछ अरसे सोग़दा में एक अलग यूनानी राज्य चलाया। १५० ई॰पू॰ में शक और अन्य बंजारा जातियाँ आक्रमण करके इस क्षेत्र में बस गई और यहाँ फिर उनका राज शुरू हो गया।
 
=== व्यापार का दौर ===
[[चीन]] भी इस इलाक़े पर आँखे गाढ़े हुए था। इसे [[पश्चिमी क्षेत्र]] का हिस्सा माना जाता था और चीनी खोजयात्रियों ने सोग़दा को "कान्गजू" (康居) का नाम दिया। ३६ ई॰पू॰ में चीन ने इस इलाक़े पर आक्रमण किया।<ref name="ref01mamid">{{cite web | title=The Rise of the Chinese Empire: Nation, state and imperialism in early China | author=Chun-shu Chang | publisher=University of Michigan Press, 2007 | isbn=9780472115334 | url=http://books.google.com/books?id=WEaVpTvHEAYC | quote=''... The Han military expansion ended in 36 BC when its forces conquered Chih-chih in the Talas River region and reached the domain of K'ang-chii (Sogdiana) for the second time ...''}}</ref> इस क्षेत्र से फिर चीन और पश्चिम के इलाक़ों (जैसे कि ईरान, [[भूमध्य सागर|भूमध्य सागर क्षेत्र]], [[रोमन साम्राज्य]], इत्यादि) के बीच व्यापार बढ़ने लगा। सोग़दा [[रेशम मार्ग]] पर आ गया और सोग़दाई लोग ज़ोर-शोर से व्यापार में लग गए। सोग़दाई भाषा मध्य एशिया में व्यापार की भाषा बन गई और बहुत से ग़ैर-सोग़दाई भी इसे सीखने-बोलने लगे। संभव है कि इस समय के चीन और [[भारत]] के बीच के व्यापार का अधिकाँश भाग सोग़दाई लोग ही चलते थे। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि समय के साथ सोग़दा में काफ़ी नैतिक पतन हुआ और कूचा और ख़ोतान में स्त्रियों की बेच-ख़रीद होती थी।<ref>Xin Tangshu 221a:6230</ref> दसवी शताब्दी ईसवी में सोग़दा को [[उईग़ुर लोगउइग़ुर|उईग़ुर राज्य]] में शामिल कर लिया गया। इसी समय के आसपास [[इस्लाम]] भी सोग़दा में पहुँच गया और इस क्षेत्र का इस्लामीकरण आरम्भ होने लगा।
 
== संस्कृति और भाषा ==