"अलाउद्दीन खिलजी": अवतरणों में अंतर

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=== मालवा विजय ===
मालवा पर शासन करने वाला महलकदेव एवं उसका सेनापति हरनन्द (कोका प्रधान) बहादुर योद्धा थे। 1305 ई. में अलाउद्दीन ने मुल्तान के सूबेदार आईन-उल-मुल्क के नेतृत्व में एक सेना को मालवा पर अधिकार करने के लिए भेजा। दोनों पक्षों के संघर्ष में महलकदेव एवं उसका सेनापति हरनन्द मारा गया। नवम्बर, 1305 में क़िले पर अधिकार के साथ ही उज्जैन, धारानगरी, चंदेरी आदि को जीत कर मालवा समेत दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया। 1308 ई. में अलाउद्दीन ने सिवाना पर अधिकार करने के लिए आक्रमण किया। वहाँ के परमार राजपूत शासक शीतलदेव ने कड़ा संघर्ष किया, परन्तु अन्ततः वह मारा गया। कमालुद्दीन गुर्ग को वहाँ का शासक नियुक्त किया गया।
 
सिवाना विजय 1308
जुलाई 1308 ई मे में अलाउद्दीन ने विशाल सेना लेकर सिवाना के दुर्ग पर घेरा डाल दिया
सिवाना के शासक शीतल देव ने 5 महीने तक मुस्लिम सेना को वीरता पूर्वक मुकाबला किया इस अवसर पर अलाउद्दीन खिलजी ने छल कपट से काम लिया और गाय का रक्त एक ऐसे कुण्ड मे मिला दिया जहां से किले के लोगों को जल प्राप्त होता था
अपनी पराजय निकट देखकर राजपूत महिलाओं ने जौहर द्वारा अपने प्राणों को त्याग दिया तथा राजपूत सैनिक दुर्ग से निकलकर मुस्लिम सेना पर टूट पड़े राजपूत लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए
शीतल देव भी लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ और सिवाना पर 1308 ई मे अलाउद्दीन खिलजी का अधिकार हो गया
कमालुद्दीन गुर्ग को सिवाना का शासक नियुक्त किया
 
=== जालौर ===