"उमर": अवतरणों में अंतर

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| issue = {{ubl|अब्दुल्ला इब्न उमर|अब्दुर्रहमान इब्न उमर|उबैदुल्ला इब्न उमर|ज़ैद इब्न उमर|आसिम इब्न उमर|इयाद इब्न उमर|हफ़्सा बिन्त उमर|फ़ातिमा बिन्त उमर|ज़ैनब बिन्त उमर}}
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'''हजरत उमर इब्न अल-ख़त्ताब''' ([[अरबी]] में عمر بن الخطّاب), ई. (586–590 – 644) [[मुहम्मद]] साहब के प्रमुख चार [[सहाबा]] (साथियों) में से थे। वहवो [[हज़रत]] [[अबु बकर|हज़रत अबु बक्र]] के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफाख़लीफ़ा चुने गये। मुहम्मद साहब ने फारूक नाम की उपाधि दी थी। जिसका अर्थ सत्य और असत्य में फर्क करने वाला। मुहम्मद साहब के अनुयाईयों में इनका रुतबा हज़रत अबू बक्र के बाद आता है। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में दूसरे ख़लीफा चुने गए। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में सबसे सफल ख़लीफा साबित हुए। मुसलमान इनको फारूक-ए-आज़म तथा अमीरुल मुमिनीन भी कहते हैं। युरोपीय लेखकों ने इनके बारे में कई किताबें लिखी हैं तथा उमर महान (Umar The Great) की उपाधी दी है। प्रसिद्ध लेखक माइकल एच. हार्ट ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक दि हन्ड्रेड ''[[:en:The 100|The 100: A Ranking of the Most Influential Persons in History]]'', (सौ दुनिया के सबसे प्रभावित करने वाले लोगो की सुचि में ५२वां अस्थान दिया) में हज़रत उमर को शामिल किया है। हज़रत उमर के लिए पैगम्बर मुहम्मद ने कहा की अगर मेरे बाद कोई पैगम्बर होता तो वो उमर होते।
 
== प्रारंभिक जीवन ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/उमर" से प्राप्त