"प्रेमचंद": अवतरणों में अंतर

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'''[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मुंशी प्रेमचंद]''' ने 1898 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। B.A करने के बाद मुंशी प्रेमचंद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हो गए। [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मुंशी प्रेमचंद] का पहला विवाह उन दिनों की परंपरा के अनुसार 15 साल की उम्र में हुआ जो सफल नहीं रहा 1926 में इन्होंने विधवा विवाह का समर्थन करते हुए बाल विधवा [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html शिवरानी देवी] से दूसरा विवाह किया। उनसे तीन संताने हुई श्रीपत राय [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html अमृतराय] और [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html कमला देवी] श्रीवास्तव 1910 में उनकी रचना सोजे वतन के लिए हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने तलब किया तो जीवन की सभी प्रतियां जब्त कर नष्ट कर दी गई इस समय तक प्रेमचंद नवाब राय नाम से उर्दू में लिखते थे उर्दू में प्रकाशित होने वाली जमाना पत्रिका के संपादक और उनके दोस्त मुंशी दया नारायण निगम ने उन्हें प्रेमचंद नाम से लिखने की सलाह दी इसके बाद वे प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे।
 
[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मुंशी प्रेमचंद रचनाओं] में सबसे पहले आते हैं उनके उपन्यास गोदान 1936 गबन 1931 सेवा सदन 1918 कर्मभूमि 1920 वरदान 1921 प्रेमाश्रम 1921 रंगभूमि 1925 निर्मला 1927 प्रतिज्ञा कायाकल्प 1926 मंगलसूत्र 1948 में लिखा था।
 
प्रेमचंद की कहानियां इस प्रकार से है पंच परमेश्वर, [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html कफन], नमक का दरोगा, बूढ़ी काकी, नशा, परीक्षा, ईदगाह, बड़े घर की बेटी, सुजान भगत, शतरंज के खिलाड़ी, माता का हृदय, मिस पदमा, बलिदान, दो बैलो की कथा, तथा पूस की रात, सौत कजाकी, [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html प्रेमचंद] की पहली कहानी संसार का अनमोल रत्न 1960 में जमाना पत्रिका में प्रकाशित की गयी थी।
 
प्रेमचंद के उपन्यास भारत और दुनिया की कई भाषाओं में अनुदित कोई खास कर उनका सर्वाधिक चर्चित उपन्यास गोदान सेवा सदन एक नारी के वेश्या बनने की कहानी है। प्रेमाश्रम किसान जीवन पर लिखा हिंदी का संभवत पहला उपन्यास है यह अवध के किसान आंदोलनों के दौर में लिखा गया रंगभूमि में प्रेमचंद एक अंधे विकारी सूरदास को कथा का नायक बनाकर हिंदी कथा साहित्य में क्रांतिकारी बदलाव का सूत्रपात कर चुके थे गोदान का हिंदी साहित्य ही नहीं विश्व साहित्य में भी महत्वपूर्ण स्थान है [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html प्रेमचंद] ने सेवा सदन 1918 उपन्यास से हिंदी उपन्यास की दुनिया में प्रवेश किया यह मूल रूप से उन्होंने बाजार ए हुस्न नाम से पहले उर्दू में लिखा इसका हिंदी रूप सेवा सदन पहले प्रकाशित कराया।
 
साहित्यिक विशेषताएं इनकी रचनाओं में भारत के दर्शन होते हैं मुंशी प्रेमचंद के साहित्य पर गांधीवाद का प्रभाव दिखाई देता है साहित्य को समाज का दर्पण नहीं मशाल में होना चाहिए यह बोलते थे प्रेमचंद
 
== जीवन परिचय ==
प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को [[वाराणसी]] के निकट [[लमही]] गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। लमही, उत्तर प्रदेश राज्य के बनारस शहर के नजदीक ही लगभग चार मिल दूर स्थित हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.gurujiinhindi.com/2019/10/munshi-premchand-munshi-premchand-hindi-munshi-premchand-in-hindi-essay-on-munshi-premchand-munshi-premchand-jayanti_12.html|title=मुंशी प्रेमचंद लेखन दुनिया के एक नयाब हिरा।|website=गुरूजी इन हिंदी|access-date=2019-11-21}}</ref> उनकी माता का नाम आनन्दी देवी था तथा पिता मुंशी अजायबराय लमही में डाकमुंशी थे।<ref>{{cite web |url= http://pustak.org/bs/home.php?bookid=635|title= गबन|access-date=9 जून 2008|format= पीएचपी|publisher= भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref> उनकी शिक्षा का आरंभ [[उर्दू]], [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html फारसी]] से हुआ और जीवनयापन का [[अध्यापन]] से। पढ़ने का शौक उन्‍हें बचपन से ही लग गया। १३ साल की उम्र में ही उन्‍होंने ''[[तिलिस्म-ए-होशरुबा]]'' पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html रतननाथ 'शरसार']], [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मिर्ज़ा हादी रुस्वा]] और [[मौलाना शरर]] के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया<ref>रामविलास शर्मा, प्रेमचंद और उनका युग, [[राजकमल प्रकाशन]], नई दिल्‍ली, 1995, पृष्‍ठ 15</ref>। [[१८९८]] में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी।[[१९१०]] में उन्‍होंने [[अंग्रेजी]], [[दर्शन]], [[फारसी]] और [[इतिहास]] लेकर इंटर पास किया और [[१९१९]] में बी.ए.<ref>{{cite book |last=बाहरी |first=डॉ॰ हरदेव |title= साहित्य कोश, भाग-2,|year=१९८६|publisher=ज्ञानमंडल लिमिटेड |location=वाराणसी|id= |page=३५६ |access-date=}}</ref> पास करने के बाद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए।<br>सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में पिता का देहान्त हो जाने के कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा।<ref>{{cite web |url= http://www.hindibooks.8m.com/LitByMunshiPremchand.htm|title= LITERATURE BY MUNSHIPREMCHAND|access-date=9 जून 2008|format= एचटीएम|publisher= हिन्दी बुक्स|language=en}}</ref> उनका पहला विवाह पंद्रह साल की उम्र में हुआ जो सफल नहीं रहा। वे [[आर्य समाज]] से प्रभावित रहे<ref>{{cite web |url= http://www.csss-isla.com/archive/archive.php?article=2005/aug1_15.htm|title= PREMCHAND AND COMPOSITE CULTURE |access-date=30 जून 2008 |format= पीएचपी|publisher=सेंटर फ़ार स्टडी ऑफ़ सोसायटी एंड सेक्युलरिज़्म |language=en}}</ref>, जो उस समय का बहुत बड़ा धार्मिक और सामाजिक आंदोलन था। उन्होंने विधवा-विवाह का समर्थन किया और १९०६ में दूसरा विवाह अपनी प्रगतिशील परंपरा के अनुरूप बाल-विधवा [[शिवरानी देवी]] से किया।<ref>{{cite web |url= http://www.indianpost.com/viewstamp.php/Paper/Watermarked%20paper/PREM%20CHAND%20WRITER|title= PREM CHAND WRITER|access-date=9 जून 2008|format= पीएचपी|publisher= इंडियन पोस्ट.कॉम|language=en}}</ref> उनकी तीन संताने हुईं- श्रीपत राय, [[अमृत राय]] और कमला देवी श्रीवास्तव। १९१० में उनकी रचना [[सोजे-वतन]] (राष्ट्र का विलाप) के लिए हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने तलब किया और उन पर जनता को भड़काने का आरोप लगाया। सोजे-वतन की सभी प्रतियाँ जब्त कर नष्ट कर दी गईं। कलेक्टर ने नवाबराय को हिदायत दी कि अब वे कुछ भी नहीं लिखेंगे, यदि लिखा तो जेल भेज दिया जाएगा। इस समय तक प्रेमचंद, [[धनपत राय]] नाम से लिखते थे। उर्दू में प्रकाशित होने वाली [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html ज़माना पत्रिका]] के सम्पादक और उनके अजीज दोस्‍त [[मुंशी दयानारायण निगम]] की सलाह से वे प्रेमचंद नाम से लिखने लगे। उन्‍होंने आरंभिक लेखन [[ज़माना पत्रिका]] में ही किया। जीवन के अंतिम दिनों में वे गंभीर रूप से बीमार पड़े। उनका उपन्यास [[मंगलसूत्र]] पूरा नहीं हो सका और लम्बी बीमारी के बाद ८ अक्टूबर १९३६ को उनका निधन हो गया। उनका अंतिम उपन्यास ''मंगल सूत्र'' उनके पुत्र अमृतराय ने पूरा किया।
 
== कार्यक्षेत्र ==
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html कहानी]] के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था<ref>{{cite book |last=बाहरी |first=डॉ॰ हरदेव |title= साहित्य कोश, भाग-2,|year=१९८६|publisher=ज्ञानमंडल लिमिटेड |location=वाराणसी|id= |page=३५७ |access-date=}}</ref> पर उनकी पहली हिन्दी कहानी [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html सरस्वती पत्रिका]] के दिसम्बर अंक में १९१५ में सौत<ref>{{cite web |url=me.php?bookid=551|title=प्रेमचंद संचयन|access-date=26 जून 2008|format=पीएचपी|publisher= भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref><ref>{{cite web |url= http://wikisource.org/wiki/सौत|title=सौत|access-date=26 जून 2008|format=|publisher= विकिस्रोत|language=}}</ref> नाम से प्रकाशित हुई और १९३६ में अंतिम कहानी [[कफन (कथासंग्रह)|कफन]]<ref>{{cite web |url= http://wikisource.org/wiki/कफ़न|title=कफ़न|access-date=26 जून 2008|format=|publisher= विकिस्रोत|language=}}</ref> नाम से प्रकाशित हुई। <ref>{{cite book |last=सिंह |first=डॉ॰बच्चन |title= प्रतिनिधि कहानियाँ|year=1972|publisher=अनुराग प्रकाशन, विशालाक्षी, चौक |location=वाराणसी|id= |page=9 |access-date= }}</ref> उनसे पहले हिंदी में काल्पनिक, एय्यारी और पौराणिक धार्मिक रचनाएं ही की जाती थी। प्रेमचंद ने हिंदी में यथार्थवाद की शुरूआत की। " भारतीय साहित्य का बहुत सा विमर्श जो बाद में प्रमुखता से उभरा चाहे वह [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html दलित साहित्य]] हो या [[नारी साहित्य]] उसकी जड़ें कहीं गहरे प्रेमचंद के साहित्य में दिखाई देती हैं।"<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2005/07/050729_premchand_narang.shtml|title= 'प्रेमचंद की विरासत असली विरासत है'|access-date=9 जून 2008|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी|language=}}</ref> प्रेमचंद के लेख 'पहली रचना' के अनुसार उनकी पहली रचना अपने मामा पर लिखा व्‍यंग्‍य थी, जो अब अनुपलब्‍ध है। उनका पहला उपलब्‍ध लेखन उनका उर्दू उपन्यास 'असरारे मआबिद'<ref>यह उपन्‍यास उर्दू साप्‍ताहिक 'आवाजे खल्‍क' में 8 अक्‍टूबर 1903 से 1 फ़रवरी 1905 तक धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ। इसमें लेखक का नाम छपा था- मुंशी धनपतराय उर्फ नवाबराय इलाहाबादी। बाद में स्‍वयं प्रेमचंद ने इसका हिन्‍दी तर्जुमा 'देवस्‍थान रहस्‍य' नाम से किया, जो उनके पुत्र अमृतराय द्वारा उनके आरंभिक उपन्‍यासों के संकलन 'मंगलाचारण' में संकलित है।</ref> है। प्रेमचंद का दूसरा उपन्‍यास 'हमखुर्मा व हमसवाब' जिसका हिंदी रूपांतरण 'प्रेमा' नाम से १९०७ में प्रकाशित हुआ। इसके बाद प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह ''[[सोज़े-वतन]]'' नाम से आया जो १९०८ में प्रकाशित हुआ। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होने के कारण इस पर अंग्रेज़ी सरकार ने रोक लगा दी और इसके लेखक को भविष्‍य में इस तरह का लेखन न करने की चेतावनी दी। इसके कारण उन्हें नाम बदलकर लिखना पड़ा। 'प्रेमचंद' नाम से उनकी पहली कहानी ''बड़े घर की बेटी'' ज़माना पत्रिका के दिसम्बर १९१० के अंक में प्रकाशित हुई। मरणोपरांत उनकी कहानियाँ [[मानसरोवरhttps://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html (कथासंग्रह)|मानसरोवर]] नाम से ८ खंडों में प्रकाशित हुईं। कथा सम्राट प्रेमचन्द का कहना था कि साहित्यकार [[देशभक्ति]] और [[राजनीति]] के पीछे चलने वाली सच्चाई नहीं बल्कि उसके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है। यह बात उनके साहित्य में उजागर हुई है। १९२१ में उन्होंने [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html महात्मा गांधी]] के आह्वान पर अपनी नौकरी छोड़ दी। कुछ महीने [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मर्यादा पत्रिका]] का [[संपादन]] भार संभाला, छह साल तक [[माधुरी पत्रिका|माधुरी]] नामक पत्रिका का संपादन किया, १९३० में बनारस से अपना मासिक पत्र [[हंस (संपादक प्रेमचंद)|हंस]] शुरू किया और १९३२ के आरंभ में [[जागरण साप्ताहिक|जागरण]] नामक एक साप्ताहिक और निकाला। उन्होंने [[लखनऊ]] में [[१९३६]] में [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ]] के सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मोहन दयाराम भवनानी]] की [[अजंता सिनेटोन कंपनी]]<ref>{{cite web |url= http://mail.sarai.net/pipermail/filmstudies/2003-July.txt|title= Premchand in Bombay|access-date=26 जून 2008|format= टीएक्सटी| publisher= सराय|language=en}}</ref> में कहानी-लेखक की नौकरी भी की। १९३४ में प्रदर्शित ''[[मज़दूर (१९३४ फ़िल्म)|मजदूर]]''<ref>{{cite web |url= http://www.imdb.com/title/tt0156780/|title= Mazdoor (1934)|access-date=26 जून 2008|format=|publisher= आई.एम.डी.बी.|language=en}}</ref> नामक फिल्म की कथा लिखी और कॉन्ट्रेक्ट की साल भर की अवधि पूरी किये बिना ही दो महीने का वेतन छोड़कर बनारस भाग आये। उन्‍होंने मूल रूप से हिंदी में १९१५ से कहानियां लिखना और १९१८ (सेवासदन) से उपन्‍यास लिखना शुरू किया।
 
 
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* ''[[कर्मभूमि]]'' (१९३२)
* ''[[गोदान]]'' (१९३६)
* ''[[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मंगलसूत्र]]'' (अपूर्ण)- यह प्रेमचंद का अधूरा उपन्‍यास है।
 
=== कहानी ===
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प्रेमचंद की प्रमुख कहानियाँ-
 
#'[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html पंच परमेश्‍वर]',
#'गुल्‍ली डंडा',
#'दो बैलों की कथा',
#[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html 'ईदगाह'],
#[[ईदगाह (कहानी)|'ईदगाह']],
#'बड़े भाई साहब',
#'[[पूस की रात]]',
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#'मंत्र'
#'[[कफन]]'
#"[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html पागल हाथी]"
 
कहानी संग्रह-
 
#'सप्‍त सरोज',
#'नवनिधि',
#'[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html प्रेमपूर्णिमा]',
#'प्रेम-पचीसी',
#'प्रेम-प्रतिमा',
#'प्रेम-द्वादशी',
#'समरयात्रा',
#'[[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मानसरोवर]]' : भाग एक व दो और 'कफन'। उनकी मृत्‍यु के बाद उनकी कहानियाँ 'मानसरोवर' शीर्षक से ८ भागों में प्रकाशित हुई।
 
[https://kavyasanklanswww.blogspotthekahaniyahindi.incom/p2020/blog03/munshi-premchand-ki-page_20kahaniya.html प्रेमचंद जी की लोकप्रिय कहानियाँ]
 
=== नाटक ===
#''[[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html संग्राम]]'' (१९२३),
#''[[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html कर्बला]]'' (१९२४)
#''[[प्रेम की वेदी]]'' (१९३३)
 
ये नाटक शिल्‍प और संवेदना के स्‍तर पर अच्‍छे हैं लेकिन उनकी [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html कहानियों] और उपन्‍यासों ने इतनी ऊँचाई प्राप्‍त कर ली थी कि नाटक के क्षेत्र में प्रेमचंद को कोई खास सफलता नहीं मिली। ये नाटक वस्‍तुतः संवादात्‍मक उपन्‍यास ही बन गए हैं।<ref>हिंदी का गद्य साहित्‍य - डॉ॰ रामचंद्र तिवारी, विश्‍वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी, 2006, पृष्‍ठ संख्‍या- 518</ref>
 
=== लेख/निबंध ===
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अमृतराय द्वारा संपादित 'प्रेमचंद : विविध प्रसंग' (तीन भाग) वास्‍तव में प्रेमचंद के लेखों का ही संकलन है। प्रेमचंद के लेख प्रकाशन संस्‍थान से 'कुछ विचार' शीर्षक से भी छपे हैं। उनके प्रसिद्ध लेख हैं-
 
#[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html साहित्‍य का उद्देश्‍य],
#पुराना जमाना नया जमाना,
#स्‍वराज के फायदे,
#कहानी कला (1,2,3),
#कौमी भाषा के विषय में कुछ विचार,
#[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html हिंदी-उर्दू की एकता],
#महाजनी सभ्‍यता,
#[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html उपन्‍यास],
#जीवन में साहित्‍य का स्‍थान।
 
=== अनुवाद ===
प्रेमचंद एक सफल अनुवादक भी थे। उन्‍होंने दूसरी भाषाओं के जिन लेखकों को पढ़ा और जिनसे प्रभावित हुए, उनकी कृतियों का अनुवाद भी किया। 'टॉलस्‍टॉय की कहानियाँ' (1923), गाल्‍सवर्दी के तीन नाटकों का ''हड़ताल'' (1930), ''[[चाँदी की डिबिया]]'' (1931) और ''न्‍याय'' (1931) नाम से अनुवाद किया। उनके द्वारा रतननाथ सरशार के उर्दू उपन्‍यास ''[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html फसान-ए-आजाद]'' का हिंदी अनुवाद ''आजाद कथा'' बहुत मशहूर हुआ।
 
=== जीवनी ===
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== विविध ==
{{मुख्य|प्रेमचंद की रचनाएँ|https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html}}
#'''बाल साहित्य''' : रामकथा, कुत्ते की कहानी
#'''विचार''' : प्रेमचंद : विविध प्रसंग, प्रेमचंद के विचार (तीन खंडों में)
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=== मुंशी के विषय में विवाद ===
[https://gyanirajawww.inthekahaniyahindi.com/munsi2020/03/munshi-premchand-ki-kahani/kahaniya.html मुंशी प्रेमचंद] ने 1898 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए| B.A करने के बाद मुंशी प्रेमचंद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हो गए| मुंशी प्रेमचंद का पहला विवाह उन दिनों की परंपरा के अनुसार 15 साल की उम्र में हुआ जो सफल नहीं रहा 1926 में इन्होंने विधवा विवाह का समर्थन करते हुए बाल विधवा शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया| उनसे तीन संताने हुई श्रीपत राय अमृतराय और [https://gyaniraja.in/ कमला देवी] श्रीवास्तव 1910 में उनकी रचना सोजे वतन के लिए हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने तलब किया तो जीवन की सभी प्रतियां जब्त कर नष्ट कर दी गई इस समय तक प्रेमचंद नवाब राय नाम से उर्दू में लिखे थे उर्दू में प्रकाशित होने वाली जमाना पत्रिका के संपादक और उनके दोस्त मुंशी दया नारायण निगम ने उन्हें प्रेमचंद नाम से लिखने की सलाह दी इसके बाद वे प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे|<br />
[https://gyaniraja.in/munsi-premchand-ki-kahani/ मुंशी, प्रेमचंद]<br />
'हंस के संपादक प्रेमचंद तथा कन्हैयालाल मुंशी थे। परन्तु कालांतर में पाठकों ने 'मुंशी' तथा 'प्रेमचंद' को एक समझ लिया और 'प्रेमचंद'- 'मुंशी प्रेमचंद' बन गए। यह स्वाभाविक भी है।<ref>प्रेमचंद मुंशी कैसे बने- [[डॉ॰ जगदीश व्योम]], सिटीजन पावर, मासिक हिन्दी समाचार पत्रिका, दिसम्बर २०११, पृष्‍ठ संख्‍या- ०९</ref>
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== विरासत ==
प्रेमचंद ने अपनी कला के शिखर पर पहुँचने के लिए अनेक प्रयोग किए। जिस युग में प्रेमचंद ने कलम उठाई थी, उस समय उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत नहीं थी और न ही विचार और प्रगतिशीलता का कोई मॉडल ही उनके सामने था । लेकिन होते-होते उन्होंने गोदान जैसे कालजयी उपन्यास की रचना की जो कि एक आधुनिक क्लासिक माना जाता है। उन्होंने चीजों को खुद गढ़ा और खुद आकार दिया। जब भारत का [[स्वतंत्रता आंदोलन]] चल रहा था तब उन्होंने कथा साहित्य द्वारा हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं को जो अभिव्यक्ति दी उसने सियासी सरगर्मी को, जोश को और आंदोलन को सभी को उभारा और उसे ताक़तवर बनाया और इससे उनका लेखन भी ताक़तवर होता गया।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2005/07/050729_premchand_narang.shtml| title= 'प्रेमचंद की विरासत असली विरासत है'|access-date=9 मार्च 2008|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी|language=}}</ref> प्रेमचंद इस अर्थ में निश्चित रूप से हिंदी के पहले प्रगतिशील लेखक कहे जा सकते हैं। १९३६ में उन्होंने प्रगतिशील लेखक संघ के पहले सम्मेलन को सभापति के रूप में संबोधन किया था। उनका यही भाषण प्रगतिशील आंदोलन के घोषणा पत्र का आधार बना।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2005/07/050729_premchand_namvar.shtml| title= 'हिंदी के पहले प्रगतिशील लेखक थे प्रेमचंद'|access-date=9 मार्च 2008|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी|language=}}</ref> प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके कदमों पर आगे बढ़ी, ५०-६० के दशक में [[रेणु]], [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html नागार्जुन]] औऱ इनके बाद [[श्रीनाथ सिंह]] ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2005/07/050729_premchand_nirmal.shtml| title= 'स्वस्थ साहित्य किसी की नक़ल नहीं करता'|access-date=9 मार्च 2008|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी|language=}}</ref> प्रेमचंद एक क्रांतिकारी रचनाकार थे, उन्होंने न केवल देशभक्ति बल्कि समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों को देखा और उनको कहानी के माध्यम से पहली बार लोगों के समक्ष रखा। उन्होंने उस समय के समाज की जो भी समस्याएँ थीं उन सभी को चित्रित करने की शुरुआत कर दी थी। उसमें दलित भी आते हैं, नारी भी आती हैं। ये सभी विषय आगे चलकर हिन्दी साहित्य के बड़े विमर्श बने।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2005/07/050729_premchand_mannu.shtml| title= रचना दृष्टि की प्रासंगिकता -मन्नू भंडारी|access-date=9 मार्च 2008|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी|language=}}</ref> प्रेमचंद हिन्दी सिनेमा के सबसे अधिक लोकप्रिय साहित्यकारों में से हैं। [[सत्यजित राय]] ने उनकी दो कहानियों पर यादगार फ़िल्में बनाईं। १९७७ में ''[[शतरंज के खिलाड़ी]]'' और १९८१ में ''[[सद्गति]]''। उनके देहांत के दो वर्षों बाद के सुब्रमण्यम ने १९३८ में [[सेवासदन]] [[उपन्यास]] पर फ़िल्म बनाई जिसमें सुब्बालक्ष्मी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। १९७७ में [[मृणाल सेन]] ने प्रेमचंद की कहानी ''[[कफ़न]]'' पर आधारित ''ओका ऊरी कथा''<ref>{{cite web |url= http://mrinalsen.org/oka_oori_katha.htm| title=Oka Oori Katha |access-date=5 जुलाई 2008|format=|publisher=मृणालसेन.ऑर्ग|language=en}}</ref> नाम से एक [[तेलुगू]] फ़िल्म बनाई जिसको सर्वश्रेष्ठ तेलुगू फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। १९६३ में ''[[गोदान]]'' और १९६६ में ''[[गबन]]'' उपन्यास पर लोकप्रिय फ़िल्में बनीं। १९८० में उनके उपन्यास पर बना टीवी धारावाहिक [[निर्मला]] भी बहुत लोकप्रिय हुआ था।<ref>{{cite web |url= http://www.shvoong.com/humanities/1715445-films-based-premchand-s-work/| title=Films based on Premchand''s work|access-date=५ जुलाई २००८|format=|publisher= श्वूंग|language=en}}</ref>
 
== प्रेमचंद संबंधी नए अध्‍ययन ==
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== पुरस्कार व सम्मान ==
[[चित्र:Shilalekh.jpg|thumb|right|1000px| भित्तिलेख]]प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाकतार विभाग की ओर से 30 जुलाई १९८० को उनकी जन्मशती के अवसर पर ३० पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया गया।<ref>{{cite web |url= http://www.indianpost.com/viewstamp.php/Paper/Watermarked%20paper/PREM%20CHAND%20WRITER|title= PREM CHAND WRITER|access-date=25 जून 2008|format= पीएचपी|publisher= इंडियन पोस्ट|language=en}}</ref> [[गोरखपुर]] के जिस स्कूल में वे शिक्षक थे, वहाँ [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html प्रेमचंद साहित्य संस्थान]] की स्थापना की गई है। प्रेमचंद की १२५वीं सालगिरह पर सरकार की ओर से घोषणा की गई कि [[वाराणसी]] से लगे इस गाँव में प्रेमचंद के नाम पर एक स्मारक तथा शोध एवं अध्ययन संस्थान बनाया जाएगा।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2005/07/050731_premchand_lamahi.shtml|title= लमही में शोध संस्थान बनेगा|access-date=25 जून 2008|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी|language=}}</ref>
 
==सन्दर्भ==
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* [[हिन्दी गद्यकार]]
* [[हिंदी साहित्य]]
*[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html [[प्रेमचंद की रचनाएँ]]
*[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html Premchand Ki Kahaniya]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
*[https://gyanirajawww.inthekahaniyahindi.com/munsi2020/03/munshi-premchand-ki-kahani/kahaniya.html मुंशी प्रेमचंद की सम्पूर्ण कहानियाँ '''PDF''']
*[httphttps://premchandwww.kahaanithekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.orghtml मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ]
* [httphttps://www.rachanakarthekahaniyahindi.orgcom/20132020/0803/blogmunshi-postpremchand-ki-kahaniya.html प्रेमचंद का कथा साहित्य - प्रोफेसर महावीर सरन जैन]
* [httphttps://www.abhivyakti-hindithekahaniyahindi.orgcom/lekhak2020/p03/munshi-premchand-ki-kahaniya.htmhtml अभिव्यक्ति में प्रेमचंद]
* [httphttps://gadyakoshwww.wikiathekahaniyahindi.com/wiki2020/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A603/munshi-premchand-ki-kahaniya.html गद्य कोश में प्रेमचंद]
* [httphttps://www.pustakthekahaniyahindi.orgcom/bs2020/home03/munshi-premchand-ki-kahaniya.php?author_name=Premchandhtml भारतीय साहित्य संग्रह में प्रेमचंद]
* [httphttps://www.vishvbookthekahaniyahindi.com/premchands2020/03/munshi-premchand-ki-novelskahaniya.html विश्वबुक्स में प्रेमचंद]
* [httphttps://bookswww.googlethekahaniyahindi.co.incom/books?id=WPbRqwdUrOEC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html कलम का मजदूर प्रेमचन्द] (गूगल पुस्तक ; लेखक - मोहन गोपाल)
* [http://books.google.co.in/books?id=aBGJVtAa0-UC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false किसान, राष्ट्रीय आन्दोलन और प्रेमचन्द, 1918-22] (गूगल पुस्तक ; लेखक - वीर भारत तलवार)
* [http://mediasaathi.com/kabercat.php?id=92 75 पार गोदान के के आइने में आज] ([[दैनिक भास्‍कर]] में प्रकाशित [[गंगा सहाय मीणा]] का आलेख)