"श्याम नारायण पाण्डेय": अवतरणों में अंतर

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श्याम नारायण पाण्डेय की वीर रस [[शैलीविज्ञान|शैली]] का एक उदाहरण उनके प्रसिद्ध खण्डकाव्य ''जय हनुमान'' से-
:''ज्वलल्ललाट पर अदम्य तेज वर्तमान था,
:''प्रचण्ड मान-भंग-जन्य क्रोध वर्धमान था,
:''ज्वलन्त पुच्छ-बाहु व्योम में उछालते हुए,
:''अराति पर असह्य अग्नि-दृष्टि डालते हुए,
:''उठे कि दिग-दिगन्त में अवर्ण्य ज्योति छा गयी,
:''कपीश के शरीर में प्रभा स्वयं समा गयी।
 
== सन्दर्भ ==